जरीब
मोहब्बत का रोग अजीब होता है
कोई खुशनसीब कोई बदनसीब होता है ।
आजकल की मतलबी दुनिया में
नजीब मुश्किल से हबीब होता है।
यह खटका सदा बना रहता है कि
जानू जानेमन का रकीब होता है ।
बचके रहना है आस्तीं के सांपों से
खूं में उनके डसना जरीब होता है ।
ठोकरें खा खाकर के जमाने की ‘अरुण’
बंदा रफ्ता -रफ्ता अदीब होता है।
जरीब=आदत, स्वभाव
नजीब=कुलीन
हबीब=दोस्त
रकीब=पूर्व प्रेमी
अदीब=कलमकार
— डॉ. अरुण निषाद