भाषा-साहित्य

बच्चों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में विज्ञान बाल कथाओं की अहम भूमिका

विज्ञान साहित्य को बाल साहित्य में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। वर्तमान युग विज्ञान का युग है। बच्चें देश का भविष्य हैं। विज्ञान कथाएं और विज्ञान साहित्य बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित कर उन्हें बदलती हुई परिस्थितियों से समायोजन में मदद  करता हैं और उनके व्यक्तित्व का विकास करता है । विजय गर्ग कहते हैं कि” बाल साहित्य में विज्ञान साहित्य को शामिल करना कितना उचित ” 

विज्ञान साहित्य कौन- कौन सी विधाओं में लिखा जा रहा है  ” विज्ञान साहित्य को अलग- अलग विधाओं में लिखा जा सकता है। छोटे रोचक विज्ञान लेख, यात्रा वृतांत, वैज्ञानिकों के संस्मरण, विज्ञान कविता और विज्ञान कथा।”

क्या विज्ञान साहित्य विज्ञान के सिद्धांतों को समझने में मदद‌गार हो सकता है के प्रश्न पर गर्ग जी का कहना था ” यह अच्छा प्रश्न किया, इसमें कोई संदेह नहीं है। कई बार विज्ञान के सिद्धांत कठिन और नीरस लगते हैं। कक्षा में समझ नहीं आते, लेकिन जब हम इन्हें विज्ञान कथा के माध्यम से समझाते हैं तो इन्हें समझना आसान हो जाता है। विज्ञान साहित्य को पढ़ने से वैज्ञानिक शब्दावली का ज्ञान भी आसानी से होने मदद मिलती है।”

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कई अंधविश्वास और भ्रांतियों व्याप्त हैं। क्या विज्ञान साहित्य इन्हें दूर करने में सहायक होता है के प्रश्न पर उन्होंने बताया , ”  विज्ञान साहित्य को पढ़ने से वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। बालक समस्या को पहचान कर उसका मूल कारण खोजता है। अपनी बात को सत्यापित करने के लिए तथ्यों का सहारा लेता है। बालक में अन्वेषण प्रवृत्ति और तर्क शक्ति का विकास होता है।”

विज्ञान साहित्य में विज्ञान कथाएँ बच्चों को बहुत लुभाती हैं। बालक के विकास में विज्ञान कथा का क्या योगदान हो सकता है के उत्तर में कहती हैं, ” विज्ञान कथाएँ बालक की कल्पनाशीलता को नये आयाम दे सकती हैं। ये शिक्षा प्रक्रिया को रोचक बनाती हैं। विज्ञान कथाएं पढ़ने से बालक की विचार प्रक्रिया सुदृढ़ होगी और दूर दृष्टि का विकास भी होगा।”

विज्ञान कथा के बारे में कुछ और बताएं पूछने पर वे कहते हैं कि विज्ञान कथा भी एक साहित्यिक शैली है जिसमें विज्ञान के तथ्यों पर आधारित कहानियाँ शामिल होती हैं, जो अक्सर भविष्य का परिदृश्य प्रस्तुत करती हैं। इनके द्वारा ब्रह्मांड और दुनिया के अस्तित्व को समझा जा सकता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, विज्ञान कथाओं में संभावित वैज्ञानिक सफलताओं और मानव ज्ञान का विकास शामिल होता है। विज्ञान कथाएँ कभी भी दैवीय हस्तक्षेप या अन्य ऐसी ही धारणाओं का खुले तौर पर धार्मिक विषयों से संबंधित नहीं होती हैं।

बाल विज्ञान कथाएं कैसी होनी चाहिएं प्रश्न के जवाब में कहते है कि बाल विज्ञान कथाएं, रोचक शैली में लिखी काल्पनिक कहानियां होती हैं. इनमें सेटिंग और कथानक प्रौद्योगिकी, समय यात्रा, बाहरी अंतरिक्ष या वैज्ञानिक सिद्धांतों के इर्द-गिर्द रहते हैं। पहले पुस्तकें और लघु कथाएँ विज्ञान कथा कहानियों को व्यक्त करने के मूल साधन थे। आज उन्नत तकनीकी और विशेष प्रभावों के बल पर टेलीविजन और सिनेमा 21वीं सदी में विज्ञान कथाओं के लिए प्रमुख माध्यम बन गए हैं। बच्चे आज स्क्रीन पर विज्ञान कथा देख कर रोमांचित होते हैं। विज्ञान कथा साहित्य मनोरंजन प्रदान करने के अलावा वर्तमान समाज की आलोचना भी करता है और विकल्पों की खोज कर सकता है। यह “ आश्चर्य की भावना” को प्रेरित कर सकता है।

बाल विज्ञान कथा के कथानक भी बच्चों को आकर्षित करने वाले होने चाहिए इस पर आपकी क्या राय है पूछने पर बताते हैं कि

 विज्ञान कथा साहित्य में कथानकों की एक विस्तृत शृंखला विद्यमान है । अंतरिक्ष, साहसिक यात्राएं, विविध वैज्ञानिक सिद्धांत, भविष्य में वैज्ञानिक आविष्कारों की कल्पना, जैव तकनीकी के अनुप्रयोग, पर्यावरण आदि बाल कथाओं के प्रमुख विषय है। रोबोट , कृत्रिम मनुष्य , मानव क्लोन , बुद्धिमान कंप्यूटर और मानव समाज के साथ उनके संभावित संघर्ष सभी विज्ञान कथाओं के प्रमुख विषय रहे हैं।

 विज्ञान कथा को कल्पना कथा भी कहा जाता है, क्या वास्तव में यह चमत्कारों की बात करती है प्रश्न के उत्तर में वे कहते हैं कि साहित्य में विज्ञान कथा समय के प्रति संवेदनशील विषय है। आम तौर पर भविष्यवादी, विज्ञान कथाएँ तकनीकी परिवर्तन द्वारा संभव बनाए गए जीवन के वैकल्पिक तरीकों के बारे में अनुमान लगाती हैं, और इसलिए कभी-कभी इसे “कल्पना कथा” कहा जाता है। विज्ञान कथा का एक बड़ा लाभ यह है कि यह पाठक के लिए अज्ञात या अप्राप्य ज्ञान के छोटे-छोटे अंश, संकेत और वाक्यांशों को व्यक्त कर सकता है… चमत्कार जो इसमें घटित हो रहे हैं, वे अक्सर भविष्य में सत्य बन जाते हैं। पूर्व में लिखी गई अनेक विज्ञान कथाओं में वर्णित तथ्य आज सत्य साबित हो चुके हैं। असीमोव ने 50 के दशक में बुद्धिमान रोबोट्स की कहानियां लिखी हैं। रे ब्रैडबरी की विज्ञान कथा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त वस्तुएं आज सत्य हैं। विज्ञान कथा का आकर्षण तर्कसंगत, विश्वसनीय और चमत्कारी के संयोजन में निहित है।

विज्ञान कथा साहित्य से बालक को अन्य क्या लाभ हो सकते हैं पूछने पर वे बताती हैं कि विज्ञान कथाओं में भविष्य के संसार से बच्चों का परिचय होता है। भविष्य में पर्यावरण कैसा होगा, तकनीकी कितनी उन्नत हो जाएगी और इस परिप्रेक्ष्य में समाज का स्वरूप क्या होगा। कौनसी चुनौतियों हमारे सामने आ सकती है, विज्ञान कथाएँ यही बताते है।

आप विज्ञान कथा, कविता और अन्य प्रकार लेखन करते हैं बताएं विज्ञान साहित्य कैसा होन चाहिए, इस पर वह कहती विज्ञान साहित्य सरस और रोचक भाषा होना चाहिए। कहानी या लेख बहुत बड़े न हों, साथ में आकर्षक चित्र भी हों। विज्ञान कथा का आधार कोरी कल्पना या फंतासी न हो, वैज्ञानिक तथ्य हों।

 अंतिम प्रश्न विज्ञान साहित्य पर आपका अनुभव कैसा है क्या इसे साहित्य जगत में साहित्य की श्रेणी में रखते हैं । आपने बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न किया, वैसे तो विज्ञान साहित्य , आम साहित्य जैसा है परंतु विडंबना है कि साहित्य जगत में इसे साहित्य से पृथक कर ही देखने की प्रवृति अधिक है। जब की विज्ञान साहित्य लेखन को बढ़ावा देने के लिए कई विज्ञान पत्रिकाएं भी प्रकाशित होती हैं। विज्ञान साहित्य लेखक होने के नाते चाहूंगा कि आमजन में भी इसे अलग न देख कर साहित्य का ही महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाए। समाचार पत्र भी विज्ञान संबंधी बहुत उपयोगी जानकारी बच्चों को निरंतर देते हैं, वे विज्ञान कथा, कविता और लेखों को भी अपने प्रकाशनों में स्थान देंगे तो और प्रोत्साहन मिलेगा। मेरा लेखन का अनुभव अच्छा है, विज्ञान पत्रिकाएं कई बार आग्रह कर विषय विशेष पर रचनाएं मंगवाते हैं। अंत में पुनः कहना चाहूंगा कि विज्ञान साहित्य को समुचित सम्मान की दृष्टि से देखा जाए, प्रोत्साहन मिले  और बच्चें विज्ञान साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित हों।

— विजय गर्ग

विजय गर्ग

शैक्षिक स्तंभकार, मलोट

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