कविता

छूट गया किनारा

छूट गया किनारा,
फिर भी तलाश जारी है
वह फिर मिले या ना मिले,
हम तो ढूंढते रहेंगे उसको
क्योंकि तलाश जारी है…।

बहुत मुश्किलों की राहों पर,
चल कर जब तू मिला था
एक अलग-सा अनुभव हुआ,
ख़ुशी का समन्दर था
पर छूट गया किनारा,
फिर भी तलाश जारी है…।

ज़िन्दगी के यह पल सुख हो या दुःख,
बहुत अनमोल होते हैं
पर यह बहुत कम है जो पलभर में,
आँखों से ओझल हो जाते हैं इसलिए तलाश जारी है…।

एक बार दूर आसमान से टूटा सितारा,
जब टूट कर गिर जाता है तो
फिर, वह कहाँ जुड़ता होगा!
पर हम इन्सान की दीवानगी ऐसी है,
हम तो ढूंढते रहेंगे उसको,
क्योंकि तलाश जारी है…॥

— हरिहर सिंह चौहान

हरिहर सिंह चौहान

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001 मोबाइल 9826084157

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