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राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी “किलकारी”: बाल साहित्य की नई दिशा और प्रेरणा

स्थान: संवाद नगर, इंदौर, मध्य प्रदेश  

आयोजन तिथि: 22-23 मार्च 2025  

आयोजक: मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल

कार्यक्रम का परिचय और उद्देश्य– 

मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित “किलकारी” राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी, न केवल साहित्यकारों और बाल साहित्य प्रेमियों को एक मंच प्रदान करने का प्रयास था, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के लिए साहित्य के महत्व को बढ़ावा देना और इसमें नवाचार लाना था। यह कार्यक्रम श्री कृष्णहै कुमार अष्ठाना जी की स्मृति में आयोजित किया गया, जो हिंदी साहित्य में बाल साहित्य के योगदान को आजीवन समर्पित रहे थे। 

संगोष्ठी का मुख्य केंद्र बिंदु उन तरीकों पर था जिनसे बाल साहित्य बच्चों की रचनात्मकता और संस्कृति के प्रति जुड़ाव को बढ़ा सकता है। दो दिवसीय कार्यक्रम में बाल साहित्य के हर पहलू को समेटा गया और इसे आधुनिक समय की चुनौतियों और संभावनाओं से जोड़ा गया है।

सत्र का विवरण और विमर्श के मुख्य बिंदु– 

प्रथम संगोष्ठी – बाल साहित्य में संस्कृति विमर्श– 

इसमें शिव मोहन यादव, रजनीकांत शुक्ल, शीला मिश्रा, सत्यनारायण सत्य, और घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने बच्चों को साहित्य के माध्यम से संस्कृति से जोड़ने पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि कैसे बाल साहित्य को जड़ों से जोड़ते हुए आधुनिक आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।  

भारत का भविष्य गढ़ता बाल साहित्य–  

इस विषय पर शशि पुरवार और डॉ. प्रीति प्रवीण खरे ने इस सत्र में बाल साहित्य के सामाजिक और शैक्षिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि बाल साहित्य बच्चों के मनोवैज्ञानिक और बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  

बाल साहित्य की भाषा—  

इस सत्र में वर्षा कोस्टा, कीर्ति श्रीवास्तव, रोचिका शर्मा, इंदिरा त्रिवेदी, और नीना सिंह सोलंकी ने बाल साहित्य की भाषा में सरलता, आकर्षण और समकालीनता का महत्व समझाया। उनके अनुसार, बच्चों की रुचि को बढ़ाने के लिए भाषा का सहज और प्रभावशाली होना जरूरी है।  

बाल साहित्य गढ़ता बचपन—- 

ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ने इस विषय पर गहन विचार साझा किए। उन्होंने तीन उदाहरणों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि बाल साहित्य न केवल बच्चों के मनोरंजन का साधन है, बल्कि उनके जीवन मूल्यों को विकसित करने का एक सशक्त माध्यम भी है।  

विशिष्ट अतिथि और विमर्शकारों का योगदान—-  

कार्यक्रम में देशभर के प्रसिद्ध बाल साहित्य मर्मज्ञों ने अपने विचार रखे। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया।  

–  नंदकिशोर निर्झर (चित्तौड़गढ़)  

– श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव (भोपाल)  

– डॉ. नीलू समीर (भोपाल)  

– समीर गांगुली (मुंबई)  

– दीनदयाल शर्मा (राजस्थान)  

– श्रीमती विमला भण्डारी (सलूंबर)  

– श्रीमती पूजा अलापुरिया (मुंबई)  

– डॉ. अनुराधा शुक्ला (मरवाही)  

– ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ (रतनगढ़)  

– डॉ. वर्षा महेश (मुंबई)  

– श्रीमती समीक्षा तैलंग (पुणे)  

के द्वारा प्रस्तुत विचारों ने बाल साहित्य के विभिन्न पहलुओं जैसे संस्कृति, भाषा, और आधुनिक तकनीकी युग में इसकी प्रासंगिकता पर ध्यान केंद्रित किया।  

विशेष आकर्षण: बाल उपन्यास “दोस्ती का सफर” सहित अन्य पुस्तकों का विमोचन–  

कार्यक्रम के सबसे प्रतीक्षित क्षणों में से एक था, ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ के बाल उपन्यास “दोस्ती का सफर” का विमोचन। उपन्यास में बच्चों के लिए सामूहिकता, दोस्ती और साहस के मूल्यों को रोचक और सरल शैली में प्रस्तुत किया गया है। उपस्थित साहित्यकारों और विद्वानों ने इस उपन्यास की सराहना की और इसे बाल साहित्य के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान बताया।  

इसी के साथ अन्य पुस्तकों को विमोचन किया गया। जिसमें मुख्यत:  क्षितिज की ओर, देवपुत्र, सपने, प्रेरक बाल पहेलियां, फैसला, मनाए मिलकर हम त्यौहार, अमर गाथाएं, हिंदी के बाल नाटक, नई अनुभूति, चला चंदा हरियाली के गाँव, नन्हें जगमग तारें, मुनिया की खुशी, श्रीकृष्ण-अर्जुन युद्ध, अंतर्वीथिका, काव्यमाला आदि सम्मिलित हैं।

बाल साहित्य और बच्चों के विकास पर प्रभाव— 

संगोष्ठी के दौरान, बाल साहित्य के बच्चों के संपूर्ण विकास में योगदान पर चर्चा की गई:  

1. सृजनात्मकता: बाल साहित्य बच्चों की कल्पनाशक्ति को प्रोत्साहित करता है।  

2. सांस्कृतिक जुड़ाव: साहित्य के माध्यम से बच्चों को उनकी संस्कृति और मूल्यों से जोड़ा जा सकता है।  

3. सामाजिक विकास: बाल साहित्य बच्चों में नैतिकता, दोस्ती, और सामूहिकता के गुणों को विकसित करता है।  

निष्कर्ष—- 

“किलकारी” बाल साहित्य संगोष्ठी ने न केवल साहित्यिक रूप से समृद्ध चर्चा के लिए एक मंच प्रदान किया, बल्कि बच्चों के विकास में बाल साहित्य के महत्व को भी रेखांकित किया। यह आयोजन साहित्यकारों, शिक्षकों, और बाल साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। 

संपूर्ण कार्यक्रम के सूत्रधार और समर्पित व्यक्तित्व का परिचय — 

आपकी समर्पित टीम की मेहनत और लगन ने इस आयोजन को अल्प समय में उत्कृष्ट स्तर पर पहुँचाया।  

– श्री गोपाल महेश्वरी जी का मार्गदर्शन और समर्पण अतुलनीय है।  

– श्री विकास दवे जी की सूझबूझ और नेतृत्व ने कार्यक्रम को सुव्यवस्थित रूप से संपन्न किया।  

– देवपुत्र टीम की सामूहिक ऊर्जा और प्रतिबद्धता ने इसे यादगार बना दिया।  

— ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]

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