घुसपैठियों के लिए आसान लांचिंग पैड नेपाल बॉर्डर के मदरसे
पड़ोसी राज्य नेपाल, भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है।वैसे तो नेपाल के भारत से हमेशा प्रगाण संबंध रहे हैं,लेकिन पिछले कुछ वर्षो में चीन की भी दखलंदाजी वहां बढ़ी है। चीन के कई प्रोजेक्ट नेपाल में चल रहे हैं। भौगालिक रूप से देखा जाये तो चीन और नेपाल की सीमा 1439 किलोमीटर लम्बी है। वहीं भारत और नेपाल की सीमा की लम्बाई 1751 किलोमीटर है। यह सीमाएं उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम से जुड़ी हुई हैं। सबसे लम्बी सीमा 726 किलोमीटर बिहार से उसके बाद उत्तर प्रदेश से 551 और उत्तराखंड से 275 किलोमीट और पश्चिमी बंगाल से 100 एवं सिक्किम से 99 किलोमीटर तक जुड़ी हैं। कभी यह सीमाएं लगभग पूरी तरह से खुली रहती थीं, लोग आसानी से बिना वीजा और पासपोर्ट के एक-दूसरे देशों में आ जा सकते थे। दोनों देशों के बीच व्यापार करने पर भी कोई प्रतिबंद्ध नहीं था,लेकिन अब हालात काफी बदल गये हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अब इन सीमाओं को लांघकर अराजक तत्व और आतंकवादी ताकतें भी भारत में प्रवेश करने लगी हैं। सीमा खुली होने का फायदा उठाकर पाकिस्तानी, बांग्लादेशियों सहित कई देशों के घुसपैठियें और आतंकवादी भारत में आते हैं और यहां आतंक फैलाते हैं। यही वजह है नेपाल और भारत के बीच की सीमा क्षेत्र में सुरक्षा के मुद्दे को लेकर पिछले कुछ सालों में खासी चिंता देखी गई है। सबसे खास बात यह है कि इन घुसपैठियों और आतंकवादियों के लिये भारत-नेपाल के बार्डर के बार्डर पर बने मदरसे सुरक्षित ठिकाना बन कर उभर रहे हैं। कई मदरसों के तार भारत विरोधी ताकतों के साथ जुडे हुए हैं।
नेपाल की सीमा से सटे इलाकों में संदिग्ध गतिविधियों का बढ़ना और आतंकवादियों का घुसपैठ करने का प्रयास स्थानीय पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा रहा है। खासकर, 28 फरवरी को काठमांडू में हुई हिंसा ने इस क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है।यह हिंसा सिर्फ नेपाल तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि भारत में भी सुरक्षा के लिहाज से इसे गंभीर माना जा रहा हैं। नेपाल सीमा के पास रहने वाले एक पूर्व शिक्षक का कहना है कि हाल के दिनों में सरहदी क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों का बढ़ना चिंताजनक है। उनका मानना है कि पाकिस्ताान और चीन द्वारा नेपाल सीमा को घुसपैठियों का लॉन्चिंग पैड बनाने की साजिश चल रही है। उनका यह भी कहना है कि कुछ मजहबी शिक्षण संस्थानों में भारत से भागने वाले कुख्यात अपराधियों से लेकर भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को भी शरण मिल रही है। बीते फरवरी महीने में सीमा से बांग्लादेशी नागरिक को पकड़ा गया था, जिसे नेपाली मदरसे में शरण मिली थी। यह घटना यह साबित करती है कि नेपाल में कुछ जगहें आतंकवादी गतिविधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन चुके हैं। नेपाली सुरक्षा एजेंसी की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि बांग्लादेश के एक आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादी को नेपाल के सीमा क्षेत्र में पनाह दी गई थी। इसी तरह, अलकायदा इन इंडियन सब कांटिनेंट (एक्यूआईएस) जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन भी नेपाल के बदलते हालात का फायदा उठा सकते हैं। इन संगठनों का लक्ष्य भारत में घुसपैठ कर आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना हो सकता है। इस संदर्भ में पूर्व आईबी अधिकारी प्रवीण गर्ग का कहना है कि काठमांडू में जो हिंसा हुई, वह नेपाल में राजाबादी आंदोलन को बदनाम करने की एक साजिश हो सकती है। उनके अनुसार, बांग्लादेश को अस्थिर करने के बाद, पाकिस्तान और चीन के सुरक्षा एजेंसियां नेपाल को भी अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं। इन दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों की नेपाल में सक्रियता इस संभावना को और मजबूत करती है।
खासकर इस साल की शुरूआत से इन दोनों देश की एजेंसियों की भारत से सटे नेपाली क्षेत्र में बढ़ी सक्रियता एक गंभीर चिंता का विषय है। चौकाने वाली बात यह भी है कि जो नेपाल कुछ वर्षो तक हिन्दू राष्ट्र होता था,वहां अब शरिया कानून की मांग भी उठने लगी है, जो कि पहले नेपाल के मुसलमानों के लिए एक दूर का ख्वाब था। लेकिन अब इसे संसद में कुछ मुस्लिम सांसदों द्वारा उठाया गया है, जो इसे नेपाल के लिए एक नई राजनीतिक दिशा के रूप में देख रहे हैं। वैसे मुस्लिमों की बढ़ती आबादी और शरिया कानून की वकालत के बीच हिन्दू संगठन भी एक बार फिर से नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की वकालत करने लगे हैं। हालांकि, राजनीति के कई जानकार नेपाल में शरिया कानून की मांग को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा प्रायोजित किया हुआ कदम बता रहे है, जो नेपाल को राजनीतिक रूप से अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा है। नेपाली सीमा पर बढ़ रही इन आतंकी गतिविधियों की ओर इशारा करते हुए आंकड़े भी सामने आए हैं, जो यह साबित करते हैं कि भारत में आतंकवादियों के घुसपैठ के प्रयास बढ़े हैं।
बात बार्डर पर चल रहे मदरसों की आतंकवादी गतिविधियों में लिप्तता की कि जाये तो इसके कई केस मिल जाते हैं। इसी वर्ष के शुरूआती महीनों में मटर-धमऊर क्षेत्र के पिलर संख्या 501-6 के पास से एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया गया था, जिसे मदरसा मदीनतुल में शरण मिली थी। इसी तरह, 2024 में हिजबुल मुजाहिद्दीन के तीन आतंकवादी गिरफ्तार हुए थे, जो नेपाली सीमा के पास स्थित एक मदरसे में ठहरे हुए थे। 2020 में पापलुर फ्रंट ऑफ इंडिया के एक ट्रेनिंग कमांडर राशिद को गिरफ्तार किया गया था, जो नेपाल सीमा से सटे मदरसे में सक्रिय था। इस तरह की घटनाएं यह साबित करती हैं कि नेपाल सीमा पर आतंकवादियों की सक्रियता बढ़ रही है, और सुरक्षा एजेंसियों को इसके प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।इसके लिये मदरसों के भी पंेच कसना जरूरी है।
गौरतलब हो, सुरक्षा एजेंसियों के पास भी नेपाल सीमा से जुड़ी एक लंबी सूची है, जिसमें विभिन्न आतंकवादियों की गिरफ्तारी का जिक्र है। 2015 में पाकिस्तानी वैज्ञानिक डॉ. जावेद को सोनौली बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था, जो नेपाल में ठहरे हुए थे। 2013 में आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा को नेपाल से भारत में घुसने की कोशिश के दौरान पकड़ा गया था, और इसी साल यासीन भटकल भी गिरफ्तार हुआ था। यही नहीं, 2010 में बढ़नी बॉर्डर से इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकवादी सलमान उर्फ छोटू को गिरफ्तार किया गया था, जो एक नेपाली मदरसे में पनाह लिए हुए था। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि नेपाल से घुसने वाले आतंकवादियों की संख्या समय के साथ बढ़ी है और सुरक्षा एजेंसियों को इस पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसी के चलते भारतीय सुरक्षा बलों ने नेपाल से सटी सीमा पर गश्त बढ़ा दी है और इन क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, नेपाल में इन आतंकवादियों की गतिविधियों को लेकर पूरी तरह से नियंत्रण पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि नेपाल के अंदर भी कई मदरसे और धार्मिक संस्थान आतंकवादी गतिविधियों के लिए सुरक्षित ठिकाने बन चुके हैं। इन आतंकवादी समूहों के पास न सिर्फ भारतीय बल्कि नेपाली क्षेत्र में भी अपनी जड़ें फैलाने की क्षमता है,जो दोनों ही मुल्कों के लिये बड़े खतरे का संकेत है। समय रहते नेपाल सरकार ने सख्त कदम नहीं उठाये तो दिन पर दिन हालात और भी खराब होते जायेगेे। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि नेपाल और भारत दोनों देश मिलकर सीमा पर सुरक्षा उपायों को और मजबूत करें और आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करें। अंततः, यह कहना गलत नहीं होगा कि नेपाल सीमा पर बढ़ती आतंकी गतिविधियों और घुसपैठ के प्रयासों के बीच दोनों देशों के सुरक्षा बलों के बीच समन्वय और सक्रियता बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही, नेपाल को अपने आंतरिक सुरक्षा उपायों को भी मजबूत करना होगा ताकि वह आतंकवादियों की गतिविधियों को अपनी सीमा से बाहर रख सके और भारतीय क्षेत्र में उनकी घुसपैठ को रोका जा सके। यह दोनों देशों की सुरक्षा और शांति के लिए आवश्यक है।
— संजय सक्सेना, लखनऊ