लू से बचाव हेतू कुछ सुझाव
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी कर दी है कि इस बार अच्छी-खासी गर्मी पड़ेगी। अतः अच्छी-खासी गर्मी पड़ने पर लू भी चलेगी। जैसा आप सभी जानते हैं कि हम सभी को अनेक कारणों से, घर से कहिये या कार्यस्थल से, कड़ी धूप में भी बाहर निकलना पड़ता है लेकिन कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है ? दूसरे शब्दों में लू लगने से मृत्यु क्यों होती है ? इसी पर प्रस्तुत है लू लगने के कारण एवं बचाव हेतु अपनायें जा सकने वाले उपाय –
— कृपया 12 से 3 के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।
— हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।
— पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस तापमान बरकरार रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।
— पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है (बंद कर देता है)
— जब बाहर का तापमान 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।
— शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है ( जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है )
— स्नायु कड़क होने लगते हैं। इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।
— शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।
— व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।
— गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° किस तरह बरकरार रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए।
— इक्विनॉक्स प्रभाव अगले 5 -7 दिनों मे एशिया के अधिकतर भूभाग को प्रभावित करेगा।
— तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था में रहेगा।यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा।( ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है )
— कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।
— किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी जरूर लें।
— जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।
— ठंडे पानी से नहायें
— दही /छाछ का प्रयोग अधिक करें !
— फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।
— हीट वेव कोई मजाक नही है।
— एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।
— शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।
— अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।
— जनहित में हम सभी का कर्तब्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को उपरोक्त वर्णित तथ्यों से अवगत करायें ।
— गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’