बाल कविता

गर्मी आई,आंधी आई

गर्मी आई,आंधी आई,
उड़ रही है धूल।
आ पहुंचे हैं फल रसीले,
जो रखेंगे तुमको कूल।।

लगता सेठ जी जैसा,
हरा भरा तरबूज।
मीठा मीठा खुशबू वाला,
ऊर्जा देता है खरबूज।।

कोई खट्टा कोई मीठा,
कोई बड़ा और छोटा।
आम है फलों का राजा,
कोई पतला,लंगड़ा और मोटा।।

छोटा सा फल है फालसा,
कुछ ज्यादा ही शरमाये।
रंग इसका बड़ा सलोना,
बस कुछ दिन को ही आए।।

बिना नारियल रह नहीं पाते,
संग मलाई चट कर जाते।
शहतूत यूं गुस्से में बोला,
मुझे छोड़ दिया क्यों अकेला।।

लाल सफेद लीची अलबेली,
खिरनी रंग में है पीली पीली।।
एक अनार और सौ बीमार,
खरीददार हैं, इसके हजार।।

फलों को अकेला ही खाओ,
फल खाने का यही कायदा।
अन्न के संग में पच ना पाए,
तभी मिले पूरा फायदा।।

खट्टे मीठे खूब रसीले,
भांति भांति के रंग रंगीले।।
कौन ये कहता गर्मी ना भाए,
ये सब फल गर्मी दूर भगाए।।

— मनु वाशिष्ठ

मनु वाशिष्ठ

c/o श्री अशोक वाशिष्ठ मंगल भवन ब्लॉक ए फ्लैट नंबर 201 बी बाल मंदिर स्कूल के पास माला रोड कोटा जंक्शन राजस्थान

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