ग़ज़ल
तेरा ग़म तेरी हर खुशी जानते हैं
हैं आशिक तेरे, आशिकी जानते हैं
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चलो छोड़ भी दो ये बातें बनाना
बहाने तेरे हम सभी जानते हैं
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जमाना कहे हमको नादां मगर हम
गलत क्या है, क्या है सही जानते हैं
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जिएंगे हरिक पल को जी भर के हम तो
न लौटेगी फिर ये घड़ी जानते हैं
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घिरी है, यकीनन बरस कर रहेगी
घटाओं की हम बेकली जानते हैं
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सताना, रुलाना है आदत तुम्हारी
मगर है ये आदत बुरी जानते हैं
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रमा जिंदगी में मिली हर खुशी पर
फ़क़त इक तुम्हारी कमी जानते हैं
रमा प्रवीर वर्मा
नागपुर, महाराष्ट्र