हास्य व्यंग्य

इनसे ज्ञान लेना चाहिए , महंगाई को लेकर हाहाकार नहीं मचाना चाहिए

जब देखो जब इनको तिरस्कार की नजर से गुजरना पड़ता है कोई इन्हें बेवड़ा , शराबी , दारुड़िया , पियक्कड़ के साथ न जाने क्या क्या कहते है लेकिन यह क़ौम बुरा नहीं मानती हैं कभी कभी ठुकाई हो जाने पर किसी को कुछ नहीं कहते हैं । इतनी सज्जन क़ौम कभी देखी नहीं। किसी लेखक ने लिखा है। ” नशा खराब होता तो नाचती बोतल ” चलो हम मान लेते मानने में क्या दिक्कत है बचपन से मानते हुए आ रहे जैसे माना की मूलधन 100 है कभी किसी ने सवाल नहीं किया यह कहां से आए ठीक उसी तरह इसे मान लेना चाहिए ।

शराब को पिने के लिए पानी , सोडा , बर्फ , आदि का उपयोग किया जाता और इसके साथ खाने में नमकीन , परमल, काजू , बादाम , फल आदि लिया जाता है कुछ पीने वाले सामान्य रूप से चलते रहते हैं और काम करते रहते हैं कुछ इसका मजा लेकर पीते हैं और पिने के बाद तरह-तरह की ज्ञानपीठ वाली बातें करते हैं कोई अदानी , अबांणी बन जाते हैं। कुछ माइकल जैक्सन बन जाते हैं । कुछ खामोशी के साथ कुंभकरण की तरह सो जाते हैं यह क़ौम कहां कहां सो जाती हैं बताने कि जरूरत नहीं है । शराब पीने वाले छोटे बड़े अलग-अलग कंपनी में शामिल रहते हैं आश्चर्यजनक बात तो यह है मांगने वाला इसका भरपूर सेवन करते हैं और ये मांगने वाले कभी भी आपके पास पहुंच सकता है यह बेवड़े एक विशेष वर्ग से छिप कर नज़र बचाकर खुलेआम पी लेते हैं तो कुछ काले धन की तरह छुपाकर रखते हैं। यह शोध का विषय है की , शराब पीने वालों ने कभी किसी प्रकार की मांग नहीं करी सदैव मौन साधक रूप में मौन रहते है ।

किसी शराबी से नहीं सुना शराब महंगी क्यों हों गई ? दुख की बात तो यह है दूध वाले , सब्जी वाले या कोई भी व्यापारी , नेता हो महंगाई बढ़ जाने पर हाहाकार , धरना , प्रदर्शन , जेल भरो आंदोलन के साथ फतवा जारी हो जाता हैं और जात , धर्म तक बात पहुंच जाती है महंगाई के नाम पर आलू , प्याज , टमाटर सड़कों पर फेंक दिया जाता लेकिन शराब की बढ़ती कीमतों के खिलाफ कहीं आंदोलन देखने व सुनने में नहीं आया इन शराबियों ने आंदोलनकारीयों की तरह शराब सड़कों पर नहीं बहाई है इन्होंने ही देश की आर्थिक स्थिति को संभाला लॉकडाउन के दौरान आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी इन शराबीयों , बेवड़ों , दरूडीयो ने ही आर्थिक स्थिति का मोर्चा संभालते हुए अर्थव्यवस्था को अपना महत्वपूर्ण अर्थ देकर सरकार को अपना अर्थ बताकर साथ दिया और सरकार ने इनके लिए सबसे पहले शराब की दुकानें खोली गई और इस क़ौम ने इतना सहयोग किया जिससे देश की अर्थव्यवस्था में इतना उछाला आया जो आज तक नीचे नहीं गया है मेरा ऐसा मानना है कि , अर्थव्यवस्था को सहयोग देने वाले शराबियों को सम्मानित करना चाहिए समझ गया ना समझदार को इशारा काफी । शराब महंगी होने पर कोई मोलभाव नहीं होता जितना मांगा जाता है उतना रूपए दे दिया जाता है कभी-कभी वक्त आने पर शराब पीने वाला दिल खोलकर ब्लैक में बिक रहे चुनाव के टिकट की तरह शराब खरीदता है। यह अंदर की बात है शराब को बेचने के लिए सरकार करोड़ों अरबों रुपए तक लेकर शराब का ठेका दिया जाता हैं सुनने में आया है कि सबसे ज्यादा राजस्व सरकार को देने वाला एकमात्र पेय पदार्थ है सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य यह है कि , हमें इन पीने वालों से ज्ञान लेना चाहिए की महंगाई चाहें कितनी भी हो जाए महंगाई को लेकर कभी हाहाकार नहीं मचाना चाहिए ।

— प्रकाश हेमावत

प्रकाश हेमावत

मकान नंबर 5 गली नंबर 5 बुध्देश्वर मंदिर की तरफ टाटा नगर रतलाम मोबाइल नंबर 93015 43440

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