प्रभु मेरे
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे,
तुम्हीं से प्यार करता हूं ।
छवि तुम्हारी नयनों में रखता हूं ।।
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे,
पल- प्रतिपल दर्शनों को तरसता हूं ।
मैं भटका प्राणी, भटकता ही रहता हूं ।।
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे,
बिन तुम्हारे जीवन में तनिक न चैन।
हृदय जले तवा सा, नौ-नौ आंसू रोते नैन।।
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे,
दूर न मुझको करो, पड़ता हूं पांव।
बिन तुम्हारे मुझे कहीं न मिले छांव।।
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे,
दिखा दो राह सुपथ की नाथ ।
पकड़ लो उंगली, छोड़ो न साथ ।।
प्रभु मेरे तुम्हीं सर्वस्व हो मेरे,
नित लीन रहूं तुममें ही प्रभु ।
बस इतनी सी विनय स्वीकार करो प्रभु ।।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा