एक व्यक्ति
एक व्यक्ति मेरा चैन चुराए बैठा हैं,
मेरे दिल की धड़कन बढ़ाये बैठा है,
मै उससे कुछ कहूं तो कैसे कहूं
वो कहता है,
सूरज भी तो रोशनी चुराए बैठा है..!!
दुनिया में चोरी का
सिलसिला पुराना है,
प्रशांत भी अब उसका दीवाना है,
उसे देखने के बाद,
लगता हर मौसम सुहाना है।
वो अब भी मेरी यादो को चुराए बैठा है,
मै उससे कुछ कहूं तो कैसे कहूं,
वो कहता है,
चाँद भी तो चांदनी चुराए बैठा है..!!
उसका प्यार भी सच्चा लगा,
चोरी का किस्सा भी अच्छा लगा,
वो आज भी मेरी सांसे चुराए बैठा है,
मै उससे कुछ कहूं तो कैसे कहूं
वो कहता है,
समंदर भी तो मोती चुराए बैठा है…!!
— प्रशांत अवस्थी “रावेन्द्र भैय्या”