कविता

तितली और फूल

तितलियां अठखेलियां करती
भ्रमर गुंजार करते हैं
पराग – कण चखने के लिए
फूलों पर मंडराते हैं ।
फूल – महकाते हैं जीवन
सहजीवी पर रस बरसाते हैं
बिना कुछ कहे !
बिना प्रदर्शन के
अपना सर्वस्व लुटाते हैं ।
त्याग व ममता का
हम सब को पाठ सिखाते हैं ।

— गजानन पांडेय

गजानन पांडेय

हैदराबाद M- 9052048880

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