माँ
मांँ त्याग है, अनुराग है ,
मांँ संगम है प्रयाग है।
जो मांँ के चरणों में बैठ गया,
उसको स्वर्ग का सुख मिल गया।
मांँ रागिनी मांँ दामिनी,
मांँ प्यार की इक रौशनी।
जिसे मिल गई यह रौशनी,
उसे मिल गई है चांँदनी।
माँ इक नई पहेली है,
माँ ही सखी सहेली है।
मांँ मिट्टी को आकार दे,
मांँ ममता दे, मांँ दे प्यार दे।
मांँ अपने खून के रंग से,
बच्चों का रंग निखार दे ।
मांँ अपनी गहरी सोच से ,
बच्चों को संस्कार दें ।
माँ इक खुली किताब है,
माँ इक सुहाना ख़्वाब है ।
मांँ अनुभवों का सार है,
मां हर सवाल का जवाब है।
मांँ ने जन्मे अवतार भी,
मांँ से हैं सारा संसार भी ।
मांँ से बंधे हैं सभी रिश्ते,
मांँ से ही है घर बार।
मांँ प्यार का एहसास है,
मांँ हर वक्त आसपास है ।
रिश्ते और भी हैं दुनिया में ,
पर मांँ सबसे ही ख़ास है ।
माँ रब्ब का दूजा नाम है,
मांँ आग़ाज़ है, अंजाम है ।
ऐ मांँ ! तेरे वजूद को ,
शत् – शत् प्रणाम।
— कालिका प्रसाद सेमवाल