अहिंसा परमो धर्म
हमारा एक मात्र धर्म अहिंसा परमो धर्म है इस बात को हम तन मन से स्वीकार ही नहीं करते हैं बल्कि कदम कदम पर इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह एक सत्य की तरह है हम इसका जिवन मे कोई इसका पालन नहीं करते है । यह किसी शास्वत सत्य से कम नहीं है निचोड़ने का महत्व कितना होता है यह निचोड़ने वाला अच्छी तरह से जानता है । कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि , कौन किसको , कहां , किस वक्त , कितना निचोड़ रहा है । आप समझ गए ना निचोड़ने की इस कला में पुर्णतह: ईमानदारी अपनाईं जाती है। मैं जानता हूं तुम्हारे मन में उस फल का नाम आ रहा है जो दांत खट्टे करने में माहिर हैं। समझ गए ना मेरा इशारा मैं क्या कहना चाहता हूं । निचोड़ने की शुरुआत कब , कहां , किस वक्त , किसी ने की होगी इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है लेकिन , यह अभी भी शोध का विषय है किन्तु निचोड़ने का काम आज़ भी निरंतर अविरल धारा की तरह जारी है ।
अब तक देखने में यह आ रहा है कि , जो देखो वह एक दूसरे को निचोड़ने में लगे रहो मुन्ना भाई की तरह लगा है । जैसे महंगाई आप हम सभी को निचोड़ रही है । पेपर लीक करने वाले , कोचिंग सेंटर वाले , स्कूल वाले विद्यार्थीयों को किस प्रकार से निचोड़ रहा है एवं फीस के नाम पर अभिभावकों को निचोड़ा जा रहे है । बांस कर्मचारियों को काम के रूप में निचोड़ रहा है । संपादक साहित्यकार को निचोड़ रहा है । घरवाली पति को अपनी मांगों से निचोड़ रही है । व्यापारी ग्राहक को निचोड़ रहा है । डाक्टर मरीज़ को इलाज के माध्यम से निचोड़ रहा है । लगें रहे मुन्ना भाई की तरह कुल मिलाकर हर कोई एक दूसरे को निचोड़ने में लगा है । सामाजिक रूप से धार्मिक दृष्टि के माध्यम से राजनीतिक चालों के तहत बिगड़ आर्थिक व्यवस्था से हर कोई हर किसी बात , मुद्दे को लेकर निचोड़ा जा रहा है । यह बात अघोषित रूप से कहने में आ रही है कि , जब किसी ने अपने बुलंद हौसला से मन बना ही लिया निचोड़ने का तो फिर उसकी कद काठी नापना फिजूल है क्योंकि हम चाह कर भी उसका कुछ नहीं कर सकते हैं ।
निचोड़ने की अद्भुत कला में आज सभी प्रवीण है एक दूसरे को निचोड़ने के लिए सभी अपनी-अपनी चाल , चलन , चरित्र के अनुसार अपने अपने हिसाब से चल रहे हैं मगर वह भी समय और परिस्थितियों को देखकर अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से निचोड़ने की प्रक्रिया सलंग्न है क्यों जनाब मैं गलत तो नहीं कह रहा हूं बोलो निचोड़ने की क्रिया उपयोग में लाई जा रही है या नहीं । अरे चुन्नी बाबू जब तक नींबू में रस है तब तक निचोड़ने का मजा ही कुछ और है भाई साहब निचोड़ने का महत्व वही जानता है जो इस कला में निचोड़ना जानता है ।
— प्रकाश हेमावत