एकजुट होकर करेंगे पाकिस्तान को बेनकाब
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने तथा अपनी आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का सन्देश प्रत्येक देश तक पहुँचाने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल प्रमुख साझेदार देशों में भेजने का निर्णय लिया है। यह ऑपरेशन सिंदूर का कूटनीतिक चरण है। इनमें से चार प्रतिनिधि मंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ गठबंधन के रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, श्रीकांत शिंदे और संजय झा करेंगे जबकि तीन प्रतिनिधि मंडलों का नेतृत्व विपक्षी दलों के नेता क्रमशः शशि थरूर, कनिमोई तथा सुप्रिया सुले करेंगी।
सर्वदलीय प्रतिनिमंडल के माध्यम से भारत यह सन्देश दे रहा है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पूरा भारत एक मत है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने जिस प्रकार पाकिस्तान को सामरिक रूप से मुंहतोड़ जवाब दिया है अब उसी प्रकार पूरी एकजुटता के साथ पाकिस्तान के दुष्प्रचार का भी जवाब देने जा रहा है। इस कार्य हेतु नामित सांसदों का कहना है कि, “भारत एक है चाहे वह सत्ताधारी दल हो या विपक्षी दल। हम सभी राष्ट्रीय हित के लिए एकजुट हैं।यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जहां- जहां जाएंगे वहां की सरकार, मीडिया व बुद्धिजीवियों के साथ पाकिस्तान और आतंकवाद पर ही चर्चा करेंगे तथा भारत सरकार का पक्ष रखेंगे।
सासंद बैजयंत पांडा का मानना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देने में सक्षम है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यह प्रतिनिधमंडल भारत की सोच दुनिया के समक्ष रखेगा कि हमें सामूहिक रूप से आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा। वर्तमान समय में आतंकवाद का खात्मा होना विश्व शांति के लिए महत्वपूर्ण है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी स्पष्ट सन्देश है कि अगर यह समय युद्ध का नहीं है आतंकवाद का भी नहीं है। इस कार्यक्रम का एक ही सन्देश है,“एक मिशन एक संदेश एक भारत“।
इन सभी प्रतिनिधि मंडलों का संगठन अत्यंत विचार पूर्वक किया गया है, इसमें वो नेता सम्मिलित हैं जो दल हित से ऊपर उठकर देश की बात करने में सक्षम हैं । प्रतिनिधि मंडलों की संरचना भविष्य में देश की आंतरिक राजनीति को भी प्रभावित करने वाली है। इस प्रतिनिधि मंडल में गुलाम नबी आजाद, एम. जे. अकबर, आनंद शर्मा, वी मुरलीधरन और एस.एस अहलूवालिया जैसे नेता भी हैं जो अब सांसद नहीं है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के प्रधानमंत्री मोदी के साथ अच्छे राजनैतिक व भावनात्मक संबंध किसी से छुपे नहीं हैं। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा कांग्रेस आलाकमान की वर्तमान नीतियों से कई बार असहज हो जाते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया पर अत्यंत प्रभावशाली तरीके से भारत का पक्ष रख रहे थे अतः सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल में केंद्र सरकार ने उनको स्थान दिया है। विदेश मामलों में उनकी योग्यता व अनुभव को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने उनको यह महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा है। शशि थरूर ने इसे देश की सेवा का अवसर कहते हुए प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व प्राप्त होने पर प्रसन्नता व्यक्त की । आश्चर्यजनक रूप से उनकी अपनी पार्टी ही उनके विरोध में उतर आई और सार्वजनिक बयान जारी करके कहा कि कांग्रेस ने शशि थरूर का नाम पार्टी की तरफ से नहीं दिया है। शशि थरूर एक बहुत योग्य सांसद हैं, लंबे समय तक संयुक्त राष्ट्र में रहे हैं तथा मनमोहन कैबिनेट में विदेश राज्य मंत्री थे। वह एक प्रभावशाली वक्ता हैं अतः उनकी बातों को लोग सुनते भी हैं किंतु उनकी अपनी पार्टी ही उनका विरोध कर रही है। निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी में विवाद को जन्म देगा।
इस प्रतिनिधि मंडल में सबसे अधिक चौंकाने वाला नाम आल इंडिया मजलिस -ए -इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी का है जो पहलगाम के आतंकी हमले के पूर्व तक वक्फ कानून सहित समान नागरिक संहिता आदि कानूनों पर सरकार का पुरजोर विरोध कर रहे थे किंतु आतंकवादी हमले के बाद अचानक स्वयं को राष्ट्रभक्त दिखा रहे हैं ।
सुप्रिया सुले व कनिमोई दोनो ही नेता ही अपने राज्यों की राजनीति के कारण भजपा हाईकमान के संपर्क में हैं। द्रमुक नेता कनिमोई को तमिल मुख्यमंत्री स्टालिन का कुछ हद तक विरोधी माना जाता रहा है उनके बारे में एक बार यह अफवाह बहुत तीव्रता से उड़ी थी कि वो तमिल राजनीति की एकनाथ शिंदे हो सकती है किंतु कनिमोई को इस समय उत्तर दक्षिण के मध्य की खाई को पाटने की दृष्टि से प्रतिनिधि मंडल में स्थान दिया गया है।
— मृत्युंजय दीक्षित