हिबाकुशा
किसी की कारगुज़ारी की सज़ा ,
कोई बेकसूर आखिर क्यों भुगतेगा,
अच्छा जीवन जी रहे जब सब अपना अपना,
तो हिबाकुशा क्यों मानव बनेगा???
विकास कर लिया इतना ज्यादा,
लग पड़े रखने किसी को नष्ट करने का माद्दा,
चोरी चोरी बना रहे परमाणु हथियार,
उनको बेचकर फिर कर रहे अपना व्यापार।
याद रख जब समय का पहिया घूमेगा,
काल चक्र तब सिर पर डोलेगा,
नुकसान होगा सिर्फ इंसानियत का,
तो सोच तू खुद क्या उससे बच पाएगा।
वक्त है संभल जा इंसान अभी भी,
कर नेकी और दरिया में डाल,
चकनाचूर हो जाएगा तेरा घमंड ,
फिर हिबाकुशा ही कहलाएगा तू भी।
— डॉक्टर जय महलवाल (अनजान)