कोरोना की दस्तक पर सजगता जरूरी
देश-दुनिया पर कोरोना का संकट एक बार फिर मंडरा रहा है। वैसे देश में प्रभावितों की संख्या मामूली है। 19 मई तक आधिकारिक तौर पर 257 मामले थे। अभी बीते सप्ताह के ताजे आंकड़ों के अनुसार संख्या कम जरूर है लेकिन सच्चाई भी है कि मामले या तो समझ नहीं आ रहे या दर्ज नहीं हो रहे हैं।
बीते सप्ताह केरल में 69, महाराष्ट्र में 44 और तमिलनाडु में 34 मामले दर्ज हुए। लेकिन शेष एशिया में जिस तरह से कोविड के मामले दर्ज हो रहे हैं, वे चिंता बढ़ाते दिख रहे हैं। हांगकांग और सिंगापुर में यह तेजी से फैल रहा है। अभी नया वैरिएंट जेएन-1 का प्रकोप जारी है। यह पहली बार अगस्त, 2023 में मिला था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे दिसंबर, 2023 में ही ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ घोषित कर साफ किया था कि यह ओमिक्रॉन बीए 2.86 का वंशज है। इसमें 30 के लगभग म्यूटेशन पाए गए जिनमें एलएफ7 और एनबी1.8 की संख्या ज्यादा थी।
कोरोना की यह नई लहर साउथ-ईस्ट एशिया में ज्यादा असर दिखा रही है। सिंगापुर, हांगकांग और थाईलैंड जैसे देशों में कोविड के मामले बहुत ही तेजी से बढ़े हैं। अकेले सिंगापुर में मई की शुरुआत में 14,200 से ज्यादा नए मामले आए। इन जगहों पर भी जेएन1 और उसके उप-वैरिएंट ज्यादा मिल रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन देशों में बढ़ते मामलों का कारण वहां लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का कम हो जाना भी है। भारत में भी ऐसी संभावना से इंकार नहीं है। तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र में धीरे ही सही, इसका बढ़ना अच्छा संकेत नहीं है।
बीते 18 मई को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के विस्फोटक बल्लेबाज ट्रैविस हेड कोरोना संक्रमित हुए तो दूसरे ही दिन बिग बॉस फेम शिल्पा शिरोडकर भी शिकार हो गईं। इतना तो समझ आ गया है कि सिंगापुर अब नया हॉटस्पॉट बनकर उभर रहा है। सप्ताहभर में ही संक्रमण के मामलों में 28 फीसदी की वृद्धि चिंताजनक है। चीन से छन-छनकर जो निकल रहा है वहां भी बीते एक महीने में कोरोना मामलों में काफी तेजी आई है। लेकिन चीन से जितने वैरिएंट सामने आए, उसने दुनिया में कैसा विनाश मचाया था, सबने देखा।
इस बार संक्रमित होने वाले अधिकतर लोग वे हैं जो कोमोरबिडिटी यानी सह-रुग्णता वाली स्थिति में हैं। इसमें प्रभावितों को एक ही समय में एक से अधिक बीमारियां होती हैं। कुछ सामान्य जोखिम कारक होते हैं, जबकि कुछ अन्य स्थितियों से उत्पन्न लक्षणों या उसके उपचारों के कारण होते हैं। अभी ज्यादातर लक्षण, कोमोरबिडिटी या फिर 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में दिख रहे हैं। स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए अधिकारियों ने डॉक्टर की सलाह पर अपडेटेड वैक्सीन लेने की सलाह दी है। उच्च जोखिम वाले बुजुर्गों, कोमोरबिडिटी के शिकार को पहले से ही सालाना कोविड-19 वैक्सीन लेने की सलाह दी जाती रही है।
मुंबई के एक अस्पताल में दो मरीजों की मौत के बाद भ्रम की स्थिति बनी है। अस्पताल ने इन्हें गंभीर बीमारियों से हुई मौत बताया जिसका कोविड-19 से कोई संबंध नहीं था। अस्पताल का कहना है कि मौतें कोविड-19 से नहीं, बल्कि हाइपोकैल्सीमिक दौरे और कैंसर के साथ नेफ्रोटिक सिंड्रोम जैसी गंभीर बीमारियों के कारण हुई हैं। लेकिन चर्चा है कि दोनों मृतकों में कोविड के लक्षण थे। लगता नहीं कि ऐसी ऊहापोह वाली स्थितियों से कोविड को लेकर फिर पहले जैसा भ्रम फैलेगा? भारत में फिर से कोरोना वायरस के मामले धीरे-धीरे बढ़ने लगे हैं।
हांगकांग के स्वास्थ्य अधिकारी अल्बर्ट अउ का बयान चिंताजनक है जिसमें उन्होंने माना कि कोरोना वायरस के मामले वहां तेजी से बढ़ रहे हैं। सांस लेने की तकलीफ वाले मरीजों के कोविड पॉजिटिव पाए जाने की संख्या अभी साल के महज पांचवें महीने में ही उच्च स्तर पर पहुंच गई है। जबकि चीन में श्वास संबंधी बीमारियों की जांच करवाने वाले मरीजों में कोविड वायरस पाए जाने के मामले दोगुने होना चिंताजनक है। लोगों को बूस्टर शॉट लेने की सलाह दी गई है। साथ ही चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक, कोविड की लहर तेज भी हो सकती है।
साउथ-ईस्ट एशिया के हालात देखते हुए भारत भी सतर्क है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण, आपदा प्रबंधन सेल, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और केंद्रीय सरकारी अस्पतालों के विशेषज्ञ इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कोविड के पुष्ट मामलों की मौजूदा संख्या 257 है। देश की आबादी के दृष्टिगत यह बहुत कम है। अस्पतालों को इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों और श्वसन संक्रमण के गंभीर मामलों की निगरानी करने के लिए कहा गया है। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर बारीकी से निगरानी रख हुए है।
देशभर के सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भी जिम्मेदारी है कि वे सभी पर्याप्त इंतजाम रखें। जरा-सा संदेह होने पर चिकित्सकीय परामर्श में कोताही न बरतें। अच्छा हो कि अभी से सचेत हो जाएं।
— विजय गर्ग