सामाजिक

कोरोना संग जीना

दुनिया मानकर चल रही थी कोरोना संक्रमण का काला दौर हमेशा-हमेशा के लिये चला गया है। पिछले कुछ वर्षों से जन-जीवन फिर पटरी पर लौट रहा था। विश्व के कुछ क्षेत्रों में जारी युद्ध और अन्य विषम परिस्थितियों के बीच जारी आर्थिक उथल-पुथल के बावजूद अर्थव्यवस्थाएं कोरोना से पहली स्थिति में पहुंचने के लिये जद्दोजहद कर रही थी। लेकिन कोरोना की नई दस्तक ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। कोरोना संक्रमण की वापसी की आहट पहले हांगकांग व सिंगापुर में सुनाई दी। हांगकांग में कुछ ही मामलों में तीस लोगों के मरने की खबर है। वहीं सिंगापुर में एक मई तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 14 हजार से अधिक थी, जिसमें 19 मई तक तीन हजार नये संक्रमित जुड़ गए हैं। जिस चीन से कोरोना वायरस सारी दुनिया में फैला, वहां भी कोरोना के मामले तो बढ़े हैं लेकिन इस संख्या को सार्वजनिक नहीं किया गया। वहीं चीन का स्वास्थ्य विभाग कोरोना के मामलों में तेजी आने की आशंका जता रहा है। चिंता इस बात की भी है कि भारत में केरल, महाराष्ट्र व तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए। बताया जा रहा है कि एक जनवरी से 19 मई तक देश में ढाई सौ से अधिक संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं। मुंबई के अस्पताल में भर्ती दो मरीजों की संक्रमण से हुई मौत को लेकर भी चिंता जतायी जा रही है। हालांकि, अस्पताल का दावा है कि एक रोगी कैंसर तो दूसरा किडनी से जुड़ी गंभीर बीमारी से पीड़ित था। बहरहाल, कोरोना के नये वायरस के संक्रमण को लेकर सरकार के स्तर पर गंभीर प्रयास करने तथा नागरिकों को सजग-सतर्क रहने की जरूरत है। कोरोना संक्रमण की पिछली कई लहरों से सबक लेकर उपचारात्मक नीतियों के क्रियान्वयन व चिकित्सा सुविधाओं को विस्तार देने की जरूरत है। इससे पहले कि वायरस अनियंत्रित हो, सरकार व स्वास्थ्य एजेंसियों को बचाव के उपाय युद्ध स्तर पर करने चाहिए।

हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से कहा जा रहा है कि इस बार के संक्रमण के लिये ओमिक्रोन के नये वेरिएंट जे.ए.1 तथा वेरिएंट एल.एफ.7 और एन.बी.18 जिम्मेदार हैं। बताया जा रहा है कि जे.एन.1 वेरिएंट बहुत तेजी से फैलता है। विश्व के स्वास्थ्य विशेषज्ञ बता रहे हैं कि नये वेरिएंट से पीड़ित लोगों में गले में खराश, नींद न आना, छींके आना, खांसी, एंग्जाइटी, नाक बहना, खांसी, सिरदर्द, कमजोरी, थकान व मांसपेसियों में दर्द की शिकायत शामिल हो सकती है। हालांकि, इनमें से कुछ आम इंफ्लूएंजा के लक्षण भी हो सकते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण का टेस्ट करवाना भी जरूरी हो जाता है। वैसा कहना मुश्किल है कि कोरोना का वायरस हमारे बीच से चला गया। वह कहीं गया नहीं बल्कि टीकाकरण से मिली हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता ने उसे रोक दिया। लेकिन दिक्कत यह है कि मौसम परिवर्तन चक्र के बीच में म्यूटेशन से इसके नये वेरिएंट सामने आते हैं। जिनका मुकाबला करने व शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को इन्हें समझने में थोड़ा वक्त लगता है। निस्संदेह, यह एक चुनौती है, लेकिन इससे घबराने की नहीं, समझदारी और सतर्कता से निपटने की जरूरत है। पिछली कई बड़ी कोरोना संक्रमण की लहरों ने हमें इस संक्रमण से मुकाबले के सबक दिए हैं। एक समय था जब हमारा चिकित्सा ढांचा इसके मुकाबले के लिये तैयार न था। जीवनदायिनी ऑक्सीजन की उत्पादन क्षमता और भंडारण में हम अब आत्मनिर्भर हैं। दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन अभियान चलाकर हमने 140 करोड़ लोगों को सुरक्षा कवच प्रदान किया है। हमने अपने नागरिकों को ही सुरक्षा कवच नहीं दिया, बल्कि पूरी दुनिया के अनेक देशों को भारत की वैक्सीन व चिकित्सा सामग्री देकर एक मिसाल कायम की है। दरअसल, कोरोना संक्रमण से बचने के वही उपाय हमें सुरक्षा देंगे, जो हमने पिछले संक्रमण लहरों में सफलतापूर्वक अपनाए थे। इनमें साफ-सफाई का ध्यान रखना है, सुरक्षित दूरी रखनी है, अपने खानपान को सुधारना है, हाथ मिलाने व भीड़भाड़ वालों स्थानों पर जाने से बचना चाहिए। मास्क का उपयोग अनिवार्य शर्त है। लक्षण दिखने पर जांच कराना और खुद को समाज व परिवार से अलग करना समझदारी होगी। हमारी सजगता व चिकित्सातंत्र की सक्रियता के आगे फिर वायरस कहां टिकेगा।

— विजय गर्ग

*विजय गर्ग

शैक्षिक स्तंभकार, मलोट

Leave a Reply