कविता

कोई है

कोई है जिसे काटों से बचा कर ,
गुलाब की तरह खिलाया हूं।
जिसे गावं छोड़,
मै शहर चला आया हूं,
अब महीनो उससे बात नही होती,
साल बीत जाता मुलाक़ात नही होती,
मै उसके ख्यालों में भटकता रहता हूं,
उसकी यादो में तड़पता रहता हूं।
उससे दूर ही सही पर उसके
खुशबू से महकता रहता हूं।
मेरा मन भी अब दिल को समझाने लगा है,
उसकी खुशबू अपने सांसो में बसाने लगा है।
अब शहर में ,
प्रशांत को इतनी कही देर न हो जाए,
कि उसका गुलाब काँटों के बीच
से कोई तोड़ न ले जाए।

— प्रशांत अवस्थी “रावेन्द्र भैय्या”

प्रशांत अवस्थी 'रावेन्द्र भैय्या'

आत्मज- श्रीमती रेखा देवी एवं श्री शुभकरन लाल अवस्थी. जन्मतिथि - 18 सितम्बर 2005. जन्म स्थान - ग्राम अफसरिया ,महमूदाबाद सीतापुर उ.प्र. शिक्षा- डी.एड.स्पेशल एजुकेशन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, मोबाइल नंबर -9569726127. G-mail- theprashantawasthis.pa@gmail.com

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