कविता

हमको प्रभु ऐसा वर दें

ईश्वर हमको ऐसा वर दे,
अच्छे-अच्छे कर्म करें।
मानवता की सेवा करके,
हम दुनिया में नाम करें।

सत्य हिंसा को अपनाकर,
गौतम, गांधी राम बने
विफलताओं पर व्याकुल न हों
रहे धैर्य के साथ खड़े ।

क्रोध को जीते क्षमता व्रत लें,
झुके बड़ों से विनम्र बनें,
तड़प-भड़क से हम दूर रहे हैं,
जीवन सदा सरल बने।

देशी कलम कागज़ कपड़ा,
दूध दही भोजन छक ले,
मन, वाणी, कर्म पवित्र बना।
ईश्वर चरणों में सुख ले।

माता-पिता गुरु की शुभ सेवा,
आचरण हृदय में भर लें ।
स्वर्ग बना ले हम धरती को,
हमको प्रभु ऐसा वर दो ।

— आसिया फारुकी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र

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