सामाजिक

आखिर क्यों बनें हम हिबाकुशा

अगर हम भारत-पाकिस्तान के युद्ध की बात करें तो युद्ध आरंभ से युद्ध विराम तक का आकलन करें तो हम पाते हैं कि युद्ध शुरू होने से पहले हम क्या थे और युद्ध विराम तक आते-आते हमारी सोच क्या हो गई। खास कार्यक्रम बात करें भारत के उत्तरी राज्यों की तो यहां पर हर जन मानस सहमा हुआ था। जैसे-जैसे युद्ध आगे आगे प्रवेश करता गया लोगों को दिलों में देशभक्ति की भावना तो जाग गई लेकिन दूसरी तरफ लोग यह सोचने को भी मजबूर हो गए कि नुकसान तो हमारा भी होगा और अगर होगा तो किस तरह का नुकसान होगा। यह युद्ध अगर लंबा खींचना तो बाद परमाणु हथियारों के इस्तेमाल तक आती। जैसा कि सबको मालूम है कि भारतवर्ष भी परमाणु संपन्न देश है तो पाकिस्तान के पास भी बहुत सारे परमाणु हथियार हैं। परंतु भारत कभी भी परमाणु हथियार चलाने की पहल नहीं करेगा यह भारत ने पहले ही घोषित कर चुका है। परंतु इसका कतई मतलब यह भी नहीं है कि भारत अपने पूरे राज्यों अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए बिल्कुल चुप बैठेगा। अब भारतवर्ष वह भारतवर्ष नहीं रहा की आंखें मूंद कर मौन बैठा रहे अब हमारा देश किसी भी दुश्मन को ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिए बिल्कुल पक्के इरादों के साथ बैठा है। यह तो भारतवर्ष ने पाकिस्तान को तीन दिन में ही जतला दिया कि किस तरह से हवाई क्षेत्र हो या जल क्षेत्र हो या फिर जमीन की बात हो हम किसी से भी काम नहीं है और किसी ने अगर आंख उठाकर हमारे भारतवर्ष की तरफ देखा तो उसकी आंख नोचने में हम कतई भी देर नहीं करेंगे। आखिरकार भारतवर्ष चुप क्यों रहता है क्योंकि भारतवर्ष को 6 अगस्त 1945 का वह काला दिन आज भी याद है जब अमेरिका ने जापान देश के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया था। अभी जापान उसे सब में से ऊपर भी नहीं सका था कि अमेरिका ने ठीक-तीन दिन बाद जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर दूसरा परमाणु हमला कर दिया। इन परमाणु हमलों से वहां बहुत तहस– नहस और मानवता का लगभग नामोनिशान मिट गया था। उसे त्रासदी को हम कैसे भूल सकते हैं? मानवता के इतिहास का वह सबसे काला दिन था। पल भर में ही 1.5 लाख लोग एक झटके में ही खत्म हो गए थे। मानव द्वारा मानव पर किया गया यह सबसे कुकृत्य या निर्मम अपराध था जिसका सीधा-सीधा अमेरिका जिम्मेदार था।इसका ख़ामियाजा आज आज तक वहां के लोग भुगत रहे हैं। कहा जाता है कि आज भी वहां पर बच्चे विकार के साथ पैदा होते हैं। हिबाकुशा प्रजाति यहीं से आरंभ हुई। जब अमेरिका ने दो परमाणु बम लिटिल बॉय और फैट मैन तैयार किया और उनका इस्तेमाल जापान पर किया तो खूनी मंजर देखकर उनको बनाने वाले अमेरिकी वैज्ञानिक रॉबर्ट ओपनहाइमर ने कहा था कि “मेरे हाथ खून से सने हुए हैं”। बेशक आज के दौर में अमेरिका, भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, उत्तरी कोरिया, फ्रांस, ब्रिटेन, इत्यादि परमाणु संपन्न देश बन चुके हैं। लेकिन अगर किसी भी देश ने दूसरे देश पर परमाणु हमला किया तो वहां के लोगों को हिबाकुशा बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है। शिव कुशल जापानी भाषा से लिया गया शब्द है जिसका अर्थ है ‘विस्फोट से प्रभावित इंसान’।एक रिपोर्ट के अनुसार जब हिरोशिमा शहर पर परमाणु हमला हुआ था तो लगभग 1 मिनट में ही शहर का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा निस्तेनाबूत हो गया था यह दूसरा शब्दों में कहा जाए तो बिल्कुल राख हो चुका था। जो लोग बच भी गए वे जहरीली विकिरणों और काली बारिश की चपेट में आ गए और वो भयंकर बीमारियों से ग्रसित हो गए। हज़ारों लोग कैंसर और ल्यूकेमिया जैसे रोगों से पीड़ित हो गए थे। बचे हुए जिंदा इंसानों को हिबाकुशा कहा गया। उनकी जिंदगी भी किसी मौत या सजा से कम नहीं थी,क्योंकि उनको समाज में घृणा की दृष्टि से देखा जाने लगा था और तो और अगर बी बी सी की रिपोर्ट को पढ़ा जाए तो आज भी कई लोग हिबाकुशा प्रजाति के लोगों से शादी नहीं करते है या करने से कतराते हैं।उनको समाज में बिल्कुल अलग थलग कर दिया गया,सोचो उनके दिलों पर क्या बीती होगी और सबसे बड़ी बात इसमें उनकी क्या गलती थी?अगर भारत पाकिस्तान का युद्ध लंबा चलता और परमाणु हथियारों का प्रयोग हो जाए तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम लोग भी हिबाकुशा जरूर बनेंगे।जब सन 1980में वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर विंटर थ्योरी(हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों का लेखा जोखा देखा गया था ) प्रस्तुत की थी तो इस थ्योरी के अनुसार किसी भी प्रकार का परमाणु युद्ध सारे संसार के तापमान को बहुत अधिक प्रभावित करेगा और इस धरती का तापमान लगभग दस वर्षों में ही औसतन 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। परिणाम स्वरूप सूर्य की किरणें धरती पर नहीं पहुंचेंगी और इससे भयंकर खाद्य पदार्थों का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होगा और भुखमरी का संकट आ सकता है । हम तो एक तरफ सोचते हैं कि पड़ोसी देश को बिल्कुल ही खत्म कर दो क्योंकि वह आतंकवादियों को पनाह देता है और हमारे देश में खून खराबा करता है। एक तरह से सोचा जाए तो हमारे वीर सैनिक भी क्यों बिन वजह के शहीद होते रहें और आखिर कब तक? वो भी तो किसी मां के बेटे,किसी बहन के भाई,किसी भाई के दोस्त और किसी का सिंदूर हैं। दूसरी तरफ हमको आज के युग में ये सुनिश्चित करना पड़ेगा कि हमारे वीर जवान भी सुरक्षित रहें और अपने दुश्मनों को भी तकनीकी रूप से जवाब दिया जाए जिससे कि इंसानियत भी बची रहे और हमारा काम भी हो जाए। वरना पछताने के सिवाय आने वाली पीढ़ी के पास कुछ भी नहीं होगा। ये तो भारत पाकिस्तान की बात थी। साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के अनुसार अगर रूस और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध होता है तो तापमान तो गिरेगा ही पर साथ ही न्यूक्लियर विंटर के कारण अधिकर धरती न्यूक्लियर आइस एज में चली जाएगी । बी बी सी की एक डॉक्यूमेंट्री में एक 86 साल की हिबाकुशा(मिचिको कोडमा) का इंटरव्यू है जिसमें वो कहती हैं कि उसने वो खूनी त्रासदी अपनी आंखों से देखी है। वो आगे कहती है कि जब उसने मांस के लोथड़े लटके हुए इंसानों को देखा तो उसकी रूह कांप उठी। सब लोग इधर उधर भाग रहे थे, विकिरणों के प्रभाव से झुलस रहे थे तो किसी के शरीर पिघल रहे थे। वो मंजर किसी नरक से कम नहीं था। वो अंदेशा जताती हैं कि अगर विश्व में कहीं दोबारा परमाणु युद्ध होता है तो इंसानियत बचेगी ही नहीं ,उसकी आंखे रौंध जाती हैं,रूह कांप उठती है। अब जापान का हिरोशिमा और नागासाकी तो धीरे धीरे उठ खड़े हुए हैं लेकिन संसार में कोई भी देश या शहर इनके जैसा दंश न झेले ,ये ही कामना है। हाल ही में रूस यूक्रेन,इजराइल गाजापट्टी,इराक ईरान,भारत पाकिस्तान के युद्ध भविष्य के लिए इंसानियत अच्छा संकेत नहीं है। हमें सारे विश्व को लेकर शांति का संदेश देने की जरूरत है। सबको मिलजुल के रहने की आवश्यकता है।

— डॉ. (कैप्टन) जय महलवाल

डॉ. जय महलवाल

लेफ्टिनेंट (डॉक्टर) जय महलवाल सहायक प्रोफेसर (गणित) राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर कवि,साहित्यकार,लेखक साहित्यिक अनुभव : विगत 15 वर्षो से लेखन । प्रकाशित कृतियां : कहलूरी कलमवीर,तेजस दर्पण,आकाश कविघोष ,गिरिराज तथा अन्य अनेक कृतियां समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में प्रकाशित प्राप्त सम्मान पत्रक या उपाधियां : हिंदी काव्य रत्न २०२४, कल्याण शरद शिरोमणि साहित्य सम्मान२०२२, कालेबाबा उत्कृष्ठ लेखक सम्मान२०२२,रक्तसेवा सम्मान २०२२ 22 बार रक्तदान कर चुके हैं। (व्यास रक्तदान समिति, नेहा मानव सोसाइटी, दरिद्र नारायण समिति देवभूमि ब्लड डोनर्स के तहत) महाविद्यालय में एनसीसी अधिकारी भी हैं,इनके लगभग 12 कैडेट्स विभिन्न सरकारी (पुलिस,वन विभाग,कृषि विभाग,aims) सेवाओं में कार्यरत हैं। 1 विद्यार्थी सहायक प्रोफेसर और 1 विद्यार्थी देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT में सेवाएं दे रहे हैं। हाल ही में इनको हिंदी काव्य रत्न की उपाधि (10 जनवरी) शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा नवाजा गया है। राष्ट्रीय एकता अवार्ड 2024 (राष्ट्रीय सर्वधर्म समभाव मंच) ई– ०१ प्रोफेसर कॉलोनी राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर हिमाचल प्रदेश पिन १७४००१ सचलभाष ९४१८३५३४६१

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