इतिहास

प्रखर राष्ट्रवादी,सरलता व सादगी के प्रतीक भारतरत्न स्व गुलजारी लालजी नन्दा

जैसा आप सभी जानते हैं एक बार एक पत्रकार ने जब अखबार के पहले पन्ने पर ”भारत के पूर्व प्रधान मंत्री गुलजारीलाल नन्दा  एक दयनीय जीवन जी रहे हैं” शीर्षक से फोटो सहितखबर छापी तब हड़कंप मच गया । उसी दिन जब विशिष्ट अधिकारियों ने गुलजारीलाल नंदाजी से मुलाकात कर सरकारी आवास और अन्य सुविधायें  को स्वीकार करने का अनुरोध किया तब नन्दाजी ने बड़ी ही विनम्रता से उन्हें  ” बिना श्रम किये जनता से टैक्स में मिले पैसा लेना महापाप है”, बता निरूत्तर कर दिया, साथ ही इस बुढ़ापे में ऐसी सुविधाओं का क्या काम, यह कह कर उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।

अपने जीवन के अन्तिम पड़ाव में भी अपने सिद्धान्त से न डिगने वाले इस शख्शियत ने दृढनिश्चयी इन्दिरा गाँधी द्वारा आपातकाल लगाने के निर्णय का विरोध दर्ज कराया था । उस समय ये आपातकाल लगाये जाने से इतने नाराज हो गये, जो इस तथ्य से ही समझा जा सकता है, जब इनको इनके जन्मदिन पर  बताया गया कि इन्दिरा गाँधी, जिसके (उस समय के) मन्त्रिमण्डल में ये रेल मन्त्री थे , बधाई देने आना चाहती हैं तब इन्होंने बिना देर किये यह सन्देश दे दिया कि उन्होंने शुभकामना ले ली, आने की आवश्यकता नहीं। लेकिन कुछ देर बाद इन्दिरा गाँधी वहाँ पहुँच गयीं। बन्द कमरे में जब इन्दिराजी ने इनको मनाने का प्रयास करते हुये कहा कि जब सभी वरिष्ठ कांग्रेसी आपातकाल के हक में वक्तव्य दे रहे हैं तो आप भी इस पर कुछ कहें। इन्होंने तुरन्त ही, कैसे आपके पिता नेहरूजी ने देश में लोकतन्त्र को सींचा है, मजबूती प्रदान की है, याद दिलाकर बिल्कुल स्पष्ट तौर पर इन्दिराजी को कह दिया कि आपने आपातकाल लगा कर गलत किया है। यह सुनकर इन्दिराजी वहाँ से उसी समय रवाना हो गयीं।

इसके बाद अर्थात आपातकाल के बाद होने वाले चुनाव में जब इन्होंने अपने सिद्धान्तानुसार चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया तब स्वयं इन्दिरा गाँधी,राजा कर्ण सिंह जैसे सरीखे नेताओं ने मनाने का प्रयास किया । लेकिन इन्होंने सभी मान-मनौव्वल को न मानते हुये, चुनाव राजनीति से ही हमेशा हमेशा के लिये सन्यास ले लिया।

इसी तरह एकबार इनके गृहमन्त्रित्व काल में इनकी लड़की डॉ पुष्पा ने आठ मील दूर विश्वविद्यालय परिसर में पर्चा भरने जाने के लिये सरकारी वाहन का उपयोग कर लिया था। तब ये काफी गुस्सा ही नहीं हुये बल्कि आठ मील आने-जाने का किराया बेटी की तरफ से स्वयं भरा था।उपरोक्त वर्णित सभी तथ्यों के मद्देनजर हम कह सकते हैं कि अनेकों बार इनकी सादगी, ईमानदारी, सरलता व दृढ़निश्चयता वाली घटनाओं ने यह प्रमाणित कर दिया कि ये 

अन्तिम श्वास तक एक सच्चे गाँधीवादी एवं सिद्धान्त के प्रति सम्पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध और ईमानदार स्वतंत्रता सेनानी की तरह जीवन बिताया अर्थात जीवनपर्यन्त  वे एक सामान्य नागरिक की तरह अपना जीवन बिताया। ऐसे निर्लोभी, वास्तविक फकीर और संत महापुरुष को वर्ष १९९७ में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी व श्री एच डी देवगौड़ा के मिले-जुले सद्प्रयासों से भारत रत्न से सम्मानित किया गया था !
अन्त में हम सभी यह तो कह ही सकते हैं कि 

इनके समकक्ष इने-गिने नेता ही देश में अभीतक परिलक्षित हुये हैं। इस तथ्य के बावजूद हम यह आशा भी तो कर ही सकते हैं कि वर्तमानकाल के राजनेताओं में से भी कोई तो ऐसा उभरेगा जो श्री गुलजारीलाल नन्दाजी की तरह मन-वचन और कर्म से न केवल निष्कलंक बल्कि अपने किये गये वादों के प्रति ईमानदार, प्रतिबद्ध एवं सत्यनिष्ठ के साथ अपने सिद्धान्तों के प्रति अडिग खड़ा दिखायी देगा।  

गोवर्द्धन दास बिन्नानी “राजा बाबू”

गोवर्धन दास बिन्नानी 'राजा बाबू'

जय नारायण ब्यास कॉलोनी बीकानेर / मुम्बई 7976870397 / 9829129011 [W]

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