बाल कविता
टोली टम-टम पर चढ़ती.
टा-टा कर आगे बढ़ती.
गाँव देखने आए हम.
राजमार्ग अपनाए हम.
गलियारा अब आया है.
टमटम उधर घुमाया है.
शुद्ध हवा का झोंका है.
हमने टम-टम रोका है.
एक ताल मैदान दिखा.
एक बड़ा उद्यान दिखा.
दिखते बाग़-बगीचे हैं.
खेत कृषक ने सींचे हैं.
एक बड़ी पगडंडी है.
मंदिर मस्जिद मंडी है.
एक बड़ा विद्यालय है.
पंचायत कार्यालय है.
घर-घर में शौचालय है.
वातावरण शांतिमय है.
मटर टमाटर की क्यारी
हरी-मिर्च धनिया प्यारी.
बाहर पक्का नाला है.
सबने पशुधन पाला है.
एक दुग्ध-डेयरी आई.
वहीं लाइब्रेरी पाई.
सोलर-लाइट पैनल हैं.
जगह-जगह चापाकल हैं.
है जनसेवा केंद्र यहाँ.
ऐसा मेल-मिलाप कहाँ.
रहते ग्राम-प्रधान जहाँ.
मिल जाता जलपान वहाँ.
एक-एक गमला पाए.
खुशी-खुशी वापस आए.
— दिनेश चन्द्र गुप्ता ‘रविकर’