कविता

ज्ञान की रौशनी

ज्ञान से जिंदगी संवारती हैं,
ज्ञान से रौशनी बिखरती हैं।
ज्ञान इंसानियत की हैं पहचान,
शैतान को बना देता हैं इंसान।
न सिर्फ किताबों में हैं ये बस।
नेक इंसान; किरदार बना देता हैं।
जिसके हाथों में क़लम की ताक़त,
जिंदगी उसकी गुलज़ार बना देता हैं।
नहीं ज्ञान तो हैं सब कुछ बेकार,
बेअमल काँटों जैसा चुभता हैं ।
ज्ञान भगवान जिसे दे देता हैं,
इंसान को सुल्तान बना देता हैं।
ज्ञान से बढ़कर कोई ज़ेवर ही नहीं,
एक दयालु इंसान बना देता हैं।
ज्ञान के साथ दिल में ईमान भी हो।
पर घमंडी को शैतान बना देता हैं।

— आसिया फारूकी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र

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