एक पिता और एक बेटी की कहानी

15 जून 2025,फ़ादर डे स्पेशल
जीते जीते रक्तदान, जाते जाते नेत्रदान
ईश्वर के घर एक पिता को एक बेटी का पत्र
आपके ही नाम से जानी जाती हूँ “पापा”
इस से बड़ी बात”मिली”के लिए क्या होगी
आप पिता थे,पर एक माँ से कम नहीं
हैपी फ़ादर डे इन हेवन वर्ड के बेस्ट पापा..!
कहते हैं माँ की जगह कोई नहीं ले सकता,पर पापा आपनें माँ की जगह ली.. आज 4 महीने पहले आप भी भगवानजी के पास चले गए..अब कोई नहीं ऐसा जो आपकी जगह ले पाए
दुनिया के सबसे अच्छे पापा,
“दादी की प्राणदुलारी हो,मम्मी की राजदुलरी हो,
ईकलोती तुम मेरी बिटिया,तुम सबसे मुझको प्यारी हो “आज भी जब आपकी लिखी हुई कविताएँ मेरे बचपन की पड़ती हूँ तो आँख भर जाती हें!मेरे “पापा” इस शब्द में पूरी दुनिया बसती हे मेरी!बचपन से ही हमेशा आप मेरे बेस्ट फ़्रेंड,राखी के दिन भाई,स्कूल होमवर्क कराते टाइम टीचर,शाम को ईवनिंग वॉक पर जाते गप्पें मारते वक्त मेरे बेस्ट फ़्रेंड,और जब मम्मी अपनी एकलोती संतान को बी॰ अ॰ फ़र्स्ट ईयर में छोड़ कर ईश्वर के घर गई तबसे आप मम्मी का रोल निभाते आ रहे थे पापा! तब 17 साल की टीनऐज़र बेटी को कैसे अकेले सम्भाला होगा आपने!21 साल हो गये पापा!आपने मुझपर विश्वास बनाए रखा था!मम्मी के जाने के बाद आपने वापस मेरे मन में उड़ने की आशा जगाई मुझे पी एच डी की डिग्री करवाई!गर्व होता हे जब दुनिया बोलती हे “ मिली” तेरे पापा कितने अच्छे थे !आँखें ख़ुशी के आँसू से चमक उठतीं हें मेरी!मेरे लिए कितना त्याग किया आपने,दुनिया से लड़े,रिश्तेदारों से लड़े,जब मम्मी हमें छोड़ कर गईं,लोगों ने कहा “मिली” का क्या होगा,नानी ने कहा मिली अनाथ हो गई,तब आप हमेशा से चुप रहने वाले इंसान लड़ लिए अपनी बेटी के लिए की अभी तो में बेठा हूँ,मिली को कोई कुछ नहीं कहेगा!लोग आपको बोलते रहे,दूसरी शादी करलो,बेटा गोद ले लो,मिली को किसी मासी बूआ के घर छोड़ दो,वग़ेरा वग़ेरा पर आपने अपनी बेटी को अकेले सम्भाला!आपकी बच्चो के लिए लिखी किताबों से देश भर के लाखों बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत हें!डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम जी से आप आत्माराम पुरस्कार से सम्मानित थे!परमाणु बिजलीघर में वैज्ञानिक अधिकारी के पद से आप रेटायअरमेंट के 12 साल बाद भी बच्चों के लिए सक्रिय थे आप पापा,निःस्वार्थ कई गरीब बेटे-बेटियों की शिक्षा शादी की ज़िम्मेदारी आप निभा रहे थे पापा!साहित्यिक व समय प्रबंधन,करियर,परमाणु बिजलीघर पर कई किताबे लिखीं,रेडियो विविध भारती में वार्ताए दी,जीवन में 59 बार रक्तदान कर के,तीन वर्ष ब्रेन स्टोक पैरालाइज़ बीमारी के अथाह कष्ट पा कर आपने 4 महीने पहले अपनी 2 अंतिम इच्छायों नेत्रदान एवम इकलौती बेटी मिली के हाथ अंतिम संस्कार करवा कर आपने इस दुनिया से विदा ली!आपकी आंखो दो व्यक्ति प्रकाशवान हुए!आपके जैसा कोई नहीं हे पापा!आप इस दुनिया के सबसे अच्छे पापा हें!आपके होने से में अपने आप को पूरी तरह सुरक्षित महसूस करती थी हमेशा!
बेटी डॉक्टर मिली!
— डॉक्टर मिली भाटिया