सामाजिक

कोविड-19 के दौर में सीखने का अनुभव

”मानव को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए कुछ नया सीखना ही होता है और प्रकृति उसे कई अवसर प्रदान करती है। आपदाऐं, महामारी या विपरित परिस्थितियों में स्वयं, परिवार और समाज को संभाले रखने के लिए अपने दैनिक जीवनयापन जीवन शैली में कुछ बदलाव भी करना होता है, बस हमें उसके विकल्प खोजने की आवश्यकता रहती है।”

प्रत्येक बालक जन्म से ही सीखना प्रारंभ करता है यही सीखना उसके व्यवहार में परिवर्तन लाता है। मानव अपनी शैश्वावस्था, बाल्यावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था तक भी हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखता ही रहता है। सीखना ही शिक्षा कहलाता है।
”शिक्षा एक प्रकार का वातावरण है जिसका प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार, आदतों, चिन्तन और दृष्टिकोण पर स्थायी रूप में परिवर्तन करने के लिये डाला जाता है।” – जी. एस. थॉमसन
अर्थात सीखना केवल पठ्न पाठन या किसी पाठ्यक्रम को पुरा करने तक ही सिमित नहीं है। शिक्षा एवं सीखना जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है चाहे व्यक्ति किसी भी उम्र के पडाव पर हो, किसी भी पाठ्यक्रम में हो, किसी भी प्रशिक्षण में हो, किसी भी खेल में हो, किसी भी कौशल कार्यक्रम में सलंग्न हो। प्रत्येक दिन प्रत्येक पल व्यक्ति कुछ नया अनुभव करता है और उससे भी सीखता है।
वर्तमान परिस्थितियों को देखा जाऐं तो नोवल कोरोना वायरस कोविड-19 से उत्पन्न वैश्विक महामारी का दौर चल रहा है। कोविड-19 ने सम्पूर्ण विश्व को अपनी चपेट में ले रखा हैै। इस वैश्विक महामारी से भी आम जन-जीवन पर बहुत भारी प्रभाव पड़ा है। कई घर-परिवार इस बीमारी से लड़ रहे है। कई लागों को इस संसार से विदा लेना पड़ा। महामारी ने जीवन, उद्योग, वातावरण एवं शिक्षा इत्यादि क्षेत्रों में गहरा प्रभाव डाला है। इस दौर से बचने के लिए भी कुछ नया सीखना अनिवार्य हो गया। वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, प्रशासन, राजनीति, उद्योगपतियों सभी को इस दौर ने बहुत कुछ सीखाया हैं।
मानव को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए कुछ नया सीखना ही होता है और प्रकृति उसे कई अवसर प्रदान करती है। आपदाऐं, महामारी या विपरित परिस्थितियों में स्वयं, परिवार और समाज को संभाले रखने के लिए अपने दैनिक जीवनयापन जीवन शैली में कुछ बदलाव भी करता होता है, बस हमें उसके विकल्प खोजने की आवश्यकता रहती है।
कोविड – 19 की इस महामारी के दौर में देशभर में व्याप्त लॉकडाउन के दौरान सभी ने अपने समय का सदूपयोग करते हुए अपने कौशल को पहचानने का प्रयास किया कि हम क्या कर सकते हैं इस पर विचार कर रचनात्मक कार्य से लेकर सृजनात्मक कार्यो को करने के लिए हम संलग्न हुए और अपनी प्रतिभा को दूसरों तक भी पहूँचाया है। पुरूष वर्ग ने रसोई में पाककला में हुनर स्थापित किया तो गृहणीयों ने भी ऑनलाईन कीटी पार्टी आयोजित की। इस दौर में रोग प्रतिरोधकता को सभी ने जाना और योग को अपनाया तथा घर की छतों पर इसका अभ्यास भी किया।
हम यहाँ शिक्षा के संदर्भ में देखे तो इस दौर में भी सीखने का श्रेष्ठ अनुभव रहा। प्रत्येक व्यक्ति ने जीवन की सत्यता को नजदीक से पहचाना, प्रकृति के मुल्य को पहचाना, घर के सदस्यों ने परिवार की भूमिका को पहचाना, गृहणी ने अपनी पाक कौशलता को पहचाना, प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी को पहचाना, चिकित्सकों ने अपने मूल्य को पहचाना, शिक्षकों ने समाज सेवा को पहचाना।
हर छोटे से बड़े व्यक्ति ने इस दौर में अपने क्षेत्र से संबंधित नया सीखने का प्रयास किया है। हाँ लेकिन उसके सीखने का तरिका जरूर बदल गया है। कोविड-19 के दौर में लोगों द्वारा अपने घर पर रहते हुए डिजिटल प्लेटफार्म पर सीखने का प्रयास करते हुए अपने क्षेत्र में नवीन ज्ञान प्राप्त किया है। डिजिटल स्त्रोंत के बारे में बात की जाये ता हमने मोबाईल पर विभिन्न एप्लीकेशन गुगल मीट, जूम मिटिंग, जियो मिट, स्कॉइप कॉल, ड्यू कॉल, व्हॉटसअप कॉल, कांफ्रेंस कॉल, यूट्यूब के माध्यम से घर पर रहते हुए भी अपने क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों से ऑनलाईन जुड़कर सीखने के लिए नये अवसर तलाश किये हैं। घर-परिवार हो, शिक्षा हो या व्यापार के लिए कोई रणनीति निर्मित करनी हो सभी डिजिटल प्लेटफार्म पर जुड़कर ही तय हो पाये है।
शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर अध्ययनरत पाठ्यक्रम, कक्षाओं, डिग्री लेने वाले विद्यार्थीयों ने इस दौर में शिक्षा में चल रहे पाठ्यक्रम को डिजिटल प्लेटफार्म पर पूरा किया और उसके मूल्यांकन के लिए भी अपनी उपस्थिति ऑनलाईन ही दी। कई नये शब्दकोष भी हमारे ज्ञान में सम्मिलित हुए है। कुछ नये कौशल भी ऑनलाईन ही सीख पाये। अतः यह कहा जा सकता है कि कोविड-19 के दौर में सीखने का अनुभव श्रेष्ठ रहा। सम्पूर्ण समय का तो उपयोग नहीं हो पाया क्योंकि भौतिक उपस्थिति किसी भी क्षेत्र में उस वातावरण में बने रहने के लिए हमें बाध्य कर देती है लेकिन डिजिटल प्लेटफार्म हमें ऑनलाईन बता देते है उस वातावरण में हम मन से उपस्थित नहीं हो पाते है।
कोविड-19 के दौर ने हमें डिजिटलाईजेशन की और अधिक बढ़ाया है, ई-कामॅर्स, ई-शिक्षा, ई-बैंकिंग कई बड़े सेक्टर उसमें आगे निकल गये है। सीखने के नये अवसर एवं नये प्लेटफार्म का प्रयोग तो हमने किया है लेकिन वास्तविक में हमने कितना समय देकर उसे सीखा है इसके स्वयं मूल्यांकन की आवश्कता है। साथ ही तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करने की भी महत्ती आवश्यकता है। सीखने के लिए चाहे कोई भी समय हो, किसी भी अवस्था में हम हो, किसी भी प्लेटफार्म को प्रयोग हो, छोटो से सीखें या बड़ों से सीखें लेकिन सीखतें समय मन को स्थिर रख कर सीखा जाऐ और उससे पूर्ण रूप से जुड़ा जाऐ तो निश्चित ही हमारा सीखना सार्थक है।

— डॉ. नितिन मेनारिया

डॉ. नितिन मेनारिया

नाम : नितिन मेनारिया माता का नाम : श्रीमती निर्मला मेनारिया पिता का नाम : श्री शंकरलाल मेनारिया शिक्षा : एम.ए. बी.एड़ प्रकाशन विवरण : कवि की राह (एकल संग्रह), अहसास एक पल (सांझा संग्रह), सहोदरी सोपान-2 (सांझा संग्रह), दीपशिखा (सांझा संग्रह), शब्द कलश (सांझा संग्रह), सम्मान का विवरण : ग़जल सागर द्वारा साहित्यकार सम्मान 12 अप्रेल 2015, भाषा सहोदरी हिन्दी द्वारा सम्मान 13 जुलाई 2015, ग्वालियर साहित्य कला परिषद द्वारा "शब्द कलश सम्मान", "दीपशिखा सम्मान", "साहित्य सरताज सम्मान" 03 जनवरी 2016 साहित्य सागर द्वारा युग सुरभि सम्मान 17 जुलाई 2016 जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान 25 सितम्बर 2016 लेखन : स्वतंत्र लेखन, पत्र पत्रिकाओं में बाल कहानी, लेख एवं कविताओं का प्रकाशन, अंर्तजाल पर दैनिक रचनाऐं। अब तक 240 से अधिक रचनाऐं, 1 लेख, 3 कहानीयाँ एवं 3 यात्रा वृतान्त लिखे गये हैं। आकाशवाणी पर काव्य पाठ : आकाशवाणी उदयपुर केन्द्र से 8 अक्टुबर 2015 को काव्य पाठ प्रसारित हुआ। पत्र पत्रिका : उदयपुर से प्रकाशित हिन्दी मासिक पत्रिका ’’समुत्कर्ष " एवं ’’प्रत्युष ", सीकर से प्रकाशित पत्रिका ’’शिखर विजय", भोपाल से प्रकाशित ’’लोकजंग " में रचनाओं, कहानी एवं लेख का प्रकाशन। वेब पत्रिका : जय-विजय, मेरे अल्फाज़ में रचनाओं का प्रकाशन। काव्य गोष्ठी : युगधारा साहित्यिक मंच पर काव्य पाठ किया गया। गज़ल सागर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में काव्य पाठ किया गया 12 अप्रेल 2015, ग्वालियर साहित्य कला परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में काव्य पाठ किया गया 03 जनवरी 2016 मेरे बारे में:- मेरा जीवन परिचय:- मेरा जन्म 7 मार्च 1983 को राजस्थान के उदयपुर जिले में हूआ। मेरी शिक्षा झीलों की नगरी, उदयपुर में हूई। मैनें वर्ष 2008 में हिन्दी साहित्य विषय में स्नात्तकोत्तर परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्र्तीण की। उक्त समय से ही मेरा हिन्दी साहित्य की और अधिक रूझान बढ़ता गया। एवं 2011 में बी.एड. प्रथम श्रेणी मे किया। मैं एम.ए. बी.एड़ हूँ। वर्तमान में पिता के निजी विद्यालय बाल विनय मन्दिर, उ.मा.वि. उदयपुर में कम्प्यूटर प्रबन्धक एवं व.लि. पद पर कार्यरत हूँ। वर्तमान में उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर एम.एड़ अध्ययनरत हूँ एवं निकट भविष्य में पी.एच.डी करना लक्ष्य निर्धारित है। मैनें वर्ष 2012 से कुछ पंक्तिया लिखना प्रारम्भ किया एवं वर्ष 2013 से रचनाऐं लिखी। जब रचनाओं का संकलन हुआ तब मन में एक आशा और विश्वास कायम हूआ और कवि की राह, अहसास एक पल (सांझा संग्रह), सहोदरी सोपान-2 (सांझा संग्रह), दीपशिखा (सांझा संग्रह) एवं शब्द कलश (सांझा संग्रह) के माध्यम से मेरी रचनाऐं आप तक पहूँच पायीं। हालांकि आज के दौर में लेखन कार्य कम ही लोग करते है मैं भी दैनिक समय में एक घंटा ही लेखन करता हूँ। आज इन्टरनेट का वर्चस्व है मैंने इन्टरनेट पर भी हिन्दी साहित्य को अपना केन्द्रबिन्दू रखा। फेसबुक पर कवियो को मित्र बना उनसे सीखा और मेरी रचनाओं पर जब प्रतिक्रिया आने लगी तो मैं अधिक से अधिक लिखता गया और आज इस मुकाम तक पहूँचा।

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