लघुकथा

अर्चना

वर्षों बाद आज अर्चना के घर में खुशियों की चार चांद लग रही है,और खुशियां हो भी क्यों नहीं उनके घर नन्हे मेहमान जो आने वाले हैं |
अर्चना के घर में जोरों-शोरो से ढोल ताशे बज रहे हैं| आज अर्चना की गोद भराई का रस्म जो है उनके घर के हर सदस्य के आंखों में आंसू के साथ खुशियां झूम रही है |
अर्चना की शादी को पूरे 8 वर्ष हो गए लेकिन उनका एक भी बच्चा नहीं है| इकलौती बहू होने के साथ-साथ घर में अगर बच्चा ना हो तो घर कभी घर नहीं लगता है| लोग ताने मारते हैं,दुर्भाग्य है की अर्चना को बीते दिनों गर्भधारण होने में 1 से 3 महीने के बीच बच्चा में मिसकरेज हो जाता था| लगातार 7 वर्षों से ऐसा ही हुआ| इससे उसके पूरे परिवार में दुख का पहाड़ टूटा हुआ है, और अर्चना को देखा जाए तो उसे उस चिंता से शरीर में जान तक नहीं….
आज उन दुखों को भूल कर सारे रिश्तेदार ने अर्चना को आठवें महीने में गोद भराई रस्म की है, और लोगों ने झोली भर- भर के अर्चना व आने वाले बच्चों को आशीर्वाद दिए हैं|
नवे महीने में ही अर्चना के गर्भ से एक अति सुंदर पुत्री की प्राप्ति हुई| माँ और बेटी दोनों स्वस्थ, बच्चे ने एक से दो घंटे तक रोने की आवाज से अपने को व्यक्त किया, फिर क्या बच्चा एकदम से चुप हो गया आनन- फानन में डॉक्टर को बुलाया गया| डॉक्टर ने अपनी सारी प्रक्रिया से बच्चे का इलाज किया यहां तक की बच्चों के लिए दुआ भी मांगी हे!ईश्वर इन्हें स्वस्थ करो, इनकी रक्षा करो|
लेकिन बच्चे ने सदा के लिए अपनी आंखें मुंद दी| इस घटना को सुनकर घर के सारे लोगों में आंसुओं की लहर दौड़ पड़ी है,परिवार में सिर्फ रोना और चीख ही सुनाई दे रही थी| अर्चना तो मानो पागल हो गई है,अपने मरे हुए बच्चे को सीने से लगाकर कहती है हे!भगवान आपने मुझे दिया ही क्यों?
और दिया तो फिर छिन क्यों लिया? हे भगवान मुझे ले चलो पर मेरे बच्चे को वापस कर दो क्योंकि मैं इस बच्चे के बिना नहीं जी सकती, इस खुशियों को मुझसे मत छीनो? ऐसी क्या गलती हो गई जो आपने मुझे इतनी बड़ी सजा दी? अर्चना छाती पीट-पीट कर रोती रही और चिल्लाती रही|
अर्चना मरे हुए बच्चे को लेकर कहती रही-
ऐसा नहीं हो सकता….. ऐसा नहीं हो सकता……

— राज कुमारी

राज कुमारी

गोड्डा, झारखण्ड

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