हास्य व्यंग्य

मफलर वाले बाबा

मुंगेरी गंगा किनारे अपनी गाय, भैस चुँगा रहा था, तभी उसका दोस्त कन्हैया बोला- गंगा किनारे अकेले फिरते रहते हो! कोनो भूत चुड़ैल मिल गया तो ?पास ही शमशान है!!
अरे हमें तो एक चिड़िया नहीं मिलती भूत काहे मिलेगा।शहर में सड़क पर तो घास रखी नहीं , और दूध तो सबके ताजा ही चाहिए।
हाँ, सही कहत हो मुंगेरी भैया, सड़क पे तो रोज आडंबर फैला रहता है। पहले ही भीड़ क्या कम थी कि अब आए दिन रैली धरना, जुलूस। निकलना मुश्किल है। हम तो कुछ दिन बाद बड़े शहर चले जाएंगे।
काहे – मुंगेरी ने पूछा।
अरे यहीं गंगा किनारे एक बाबा मिले थे। बड़े चमत्कारी बाबा हैं। सब बोले उनके दर्शन करलो तो भाग खुल जाएंगे। बाबा सब को एक मफलर देते हैं। बताते हैं जो भी इस मफलर को 24 घंटे बांधे रखेगा उसकी किस्मत खुल जाएगी देखो। अब हमई को देखो, हम आठ दिन से ये मफलर बांधे हैं, और हमारी किस्मत खुल गई। शहर से बड़े भैया ने बुलाया है कि आजकल शहर में खूब धरना प्रदर्शन चल रहा है, अब अकेले हमारी चाट पकोड़ी ,चाय की दुकान से काम नहीं चलेगा। आदमी चाहिए, सो तू भी आ जा। तो हम तो चले भैया…..
मुंगेरी बोला-मगर धरना खतम, फिर क्या करोगे?
कुछ नहीं फिर किसी और शहर में धरना फिर किसी और जगह। जहाँ जहाँ धरना वहाँ वहाँ दुकान।
मगर कन्हैया जब धरना में लाठी डंडा पड़ता है तब? सब उठा के फेक दिया जाता है ?देखो तुम यहीं रहके अपना दाल मसाले का कारोबार करो, रुपैया कमाने के चक्कर में चवन्नी भी नही मिलेगी, कन्हैया।
हम तो जाएंगे हमें मफलर बाले बाबा ने अपनी सौगंध दी है, और बाबा ने जिसे जिसे मफलर दिया है सब ही कुछ न कुछ बन गया है, सब बड़ा आदमी बन गया है। कितनी भीड़ होती है बाबा के पास, मालूम भी है? आजकल तो बाबा की तबीयत भी नही ठीक है । खाँस खाँस के बुरा हाल है बाबा का, लेकिन बाबा अपनी काम के धुन के पक्के हैं। बोले, हम चार मफलर और बांध लेंगे। और, मंगतू भिखारी को तो जानते हो न। चार आने नहीं कमा पाता था, लेकिन आज कल स्कॉर्पियो में घूम रहा है। सब बाबा का चमत्कार है।
बाबा अपने लिए कुछ नहीं चाहते ? मुंगेरी पूछ बैठा।
बाबा तो बस जन सेवा करना चाहते हैं, लोगों का दु:ख बाँटना चाहते हैं। बाबा को और क्या चाहिए? बाबा तो सब जगह पैदल ही जाना चाहते हैं लेकिन उनके प्रशंसक मानते ही नहीं, तो बाबा को गाड़ी से जाना पड़ता है? बाबा को तो कुछ नहीं चाहिए। इतने सीधे हैं, सब उनके शिष्यों का किया धरा है। बाबा का तो कहना है जन सेवा करो, देश की सेवा करो, भ्रस्टाचार समाप्त करो। बाबा तो छोटी कुटिया में रहते थे, लेकिन उनके प्रशंसक ले गए उनको बड़े बंगले में। बाबा किसी की बात नहीं टालते। बाबा की भविष्यवाणी है कि जो भी मफलर पहनेगा उसके दिन बदल जाएंगे। धीरे धीरे समाज बदल जाएगा, युग परिवर्तन हो जाएगा। दूध दही की नदियां बहने लगेंगी। तू भी गाय भैस छोड़ और चल हमारे साथ। बाबा के भंडारे में कोई कमी नही है वहाँ मजे से बढ़िया बना बनाया खाना आता है 5 स्टार होटल से। बस खुले में सोना पड़ता है। लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना पड़ता है और यहाँ तो बहुत कुछ पाने की बात है ,तो क्या हुआ ?
बाबा ने बताया है कि युग बदल जाएगा तो वो सारे समाज को बदल देंगे सब जगह मफलर का ही राज होगा!
अरे कन्हैया, मफलर का राज का गर्मी में भी होगा? पगला गए हो का, मफलर का राज होगा? चुपचाप अपना काम देख सब अपनी अपनी रोटी की जुगाड़ में हैं किसी को किसी की फिक्र नहीं है ? क्यूँ पगलाया घूम रहा है? काम करेगा तो चार पैसे आएंगे। अरे जिनके पास पूरी रोटी है, वो मक्खन रोटी तलाश रहे हैं, जिनके पास मक्खन रोटी है वो बिरयानी तलाश रहे हैं। ये सब फिजूल, बहकने वाली बातें हैं। कोई चमत्कार फमत्कार नहीं होता। तू काम करेगा तो चमत्कार अपने आप होगा। थोड़ा होगा, मगर होगा। रह गई बात बाबा की तो वो काहे नहीं हमारी तरह कुछ काम करता है। और अगर बात समाज सेवा की तो उसके और भी बहुत तरीका हैं, उसके लिए किसी बंगले, गाड़ी की जरूरत नही होती है। जैसे हमने हीं अपनी एक गाय मंगलू को दी थी। उसने मेहनत की, आज दूध भी है, और पैसा भी है उसके पास; और उसके दिन भी बदल गए। बिना काम के किसी के दिन नहीं बदलते हैं, तू भी काम कर। बाबा के चक्कर में मत पड़, अरे, इतना बड़ा चमत्कारी बाबा है तो क्यूँ मफलर बांधे घूमे है। पहले बाबा से बोल अपनी खांसी का इलाज कराये, बाद में करे समाज सेवा तू समझा की नहीं??

बोलो भैया लोगों समझे कि नाहीं ???

2 thoughts on “मफलर वाले बाबा

  • विजय कुमार सिंघल

    हा….हा…हा…हा… बढ़िया व्यंग्य !

    • अंशु प्रधान

      बहुत बहुत धन्यवाद सर , आपके प्रशंसनीय शब्दों से लगता है काम सफल हुआ, आभारी हूँ।

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