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एक बिटिया का एक स्वर्गीय पिता को पत्र

(एक लड़की जिसने बस कुछ दिनों पहले अपने पिता को खोया उसकी क्या दशा होगी , और जब वो अपने पिताजी को पत्र लिखेगी तो क्या लिखेगी बस इसकी एक कल्पना की थी मैंने … वही लिख रहा हूँ… चूंकि पत्र पिता को लिखा जा रहा है इसलिए पारिवारिक बातों को नही लिया गया है )
प्रिय पापा

हाँ पापा मैं वही आपकी बेटी …. कल्पना (नाम काल्पनिक है इसलिए नाम भी कल्पना रखा है ) जिसके पैदा होते ही अपने हॉस्पिटल को सर पर उठा लिया था , मेरे घर वाले कहते हैं की आप बहुत गंभीर स्वभाव के थे लेकिन मेरे पैदा होते ही उन लोगों ने आपको खुशी से नाचते हुए देखा ! आखिर आपकी पहली संतान जो हूँ मैं ……..

पापा आप हमेशा मेरे साथ रहे , मुझे आपने एकदम दबंग बना दिया … अरे कई बार तो ऐसा होता था की छोटे भाई को उससे बड़े लड़के पीटते थे तो मैं जाकर उसे पीट कर आ जाती थी ।

मैंने कई कलाओं मे अपनी रुचि दिखाई तो आपने उसमे बढ़ावा भी दिया , मैंने संगीत सीखना चाहा आपने वो भी सीखने दिया ,मैंने कराटे सीखना चाहा आपने वो भी सिखाया ऐसी कई कलाएं जिससे मेरा सर्वांगीण विकास हो वो …. आपकी वजह से मुझे बहुत कुछ सीखने मिला … चाहे वो भावनात्मक तौर पर हो या फिर कलात्मक रूप से

धीरे धीरे मैं बड़ी होने लगी , दसवीं मे मैंने अच्छे अंक लाए उसके बाद तो लोगों का सुझाव और आपकी इच्छा के अनुसार मैंने विज्ञान मे एडमिशन भी ले लिया पढ़ने लगी ….. एक दिन जब मैं कॉलेज से लौटी तो पता चला माँ हॉस्पिटल गयी हैं !! मन एकदम से हकबका गया की माँ तो ठीक ठाक सी थी ! फिर अचानक हॉस्पिटल क्यूँ चली गई ?

मैं घर मे सबसे पूछ रही थी की क्या हुआ क्या हुआ ??? किसी ने कोई जवाब ही नही दिया ! तो मैंने अस्पताल का पता पूछा और भाग कर वहाँ पहुँच गयी … अस्पताल के बाहर पुलिसवाले थे और मेरे घर के चाचा और दूसरे संबंधी थे ! बस एक आप ही नही थे

मैं भागती हुई अस्पताल के अंदर घुस गयी , ICU के बाहर माँ रो रही थीं और कई दूसरी महिलाएं उन्हें सांत्वना दे रही थीं ! मैंने काँच से अंदर देखा तो आप बेड पर लेते हुए थे !

पापा आपके मुंह पर ऑक्सीज़न का मास्क लगा हुआ था … पापा आपकी ये हालत देख मुझे विश्वास ही नहीं हुआ ! मैं माँ के पास गयी और माँ से पूंछा तो पता चला की आप ही हैं … और आपकी अंतिम साँसे चल रही हैं

शाम को डॉ आपके कमरे से बाहर निकले उन्होने कहा की अब आप इस दुनिया मे नही है ! …… पापा आपके जाने का समाचार पाकर मै तो विश्वास ही नही कर पा रही थी …. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने बहुत बड़ा झटका दे दिया है मुझे …

पापा मैं आपको मेरा सुपरमैन , शक्तिमान से लेकर हीरो तक सबकुछ समझती थी , पापा आपको इस हालत मे देख कर मै खुद को रोक नही पाई मेरे आँसू भी बह चले … हज़ार बार रोकने की कोशिश की लेकिन रुके ही नही 🙁

मै जब कोई छोटी गलती करती तो आप मुझे डांटते थे लेकिन जब आपको लगता था की मै दुखी हो रही हूँ आप आकर मुझे मनाते भी थे ! पापा बड़ी गलतियों पर तो माँ बहुत ज्यादा सुनाती थीं लेकिन डर आपसे लगता था की कहीं आप मेरे ऊपर हाथ न उठा दें :'(

आपने मुझे कभी नही मारा लेकिन आप मुझसे बात करना बंद कर देते थे ! वो मेरे लिए सबसे बड़ी सजा हुआ करती थी

पापा मैंने आजतक कई गलतियाँ की लेकिन आपने कभी मुझे नही छोड़ा फिर आज क्यूँ क्यों छोड़ दिया ? मेरी माँ जिनके आगे पहाड़ सा जीवन पड़ा हुआ है वो क्या करेंगी अब ??

मेरा तो समय ही शुरू हुआ था ,अभी तो मैंने अपने पैर घर से बाहर निकाले थे !

पापा बड़ी सी दुनिया मे मैंने छोटे छोटे कदम रखने शुरू किए थे , इन आँखों मे सपने देख कर उन्हें पूरे करने के लक्ष्य रखे थे लेकिन आप हैं की मुझे ही छोड़ कर चले गए !पापा जब कोई कार्यक्रम होता है तब सबलोग अपने पिता को बुलाते हैं ! मेरी भी आँखें आपको ढूंढती हैं

जब जब कोई जरूरत होती है आप नही होते ! पापा आपका वो प्यार अपनापन , दोस्ती ,आपका वो मार्गदर्शन !!!!! …. मुझे मिलता ही नही

पापा आपसे मुझे कोई शिकायत नही हैं मैं आपसे गुस्सा तो बिलकुल नही हूँ …. क्यूंकी आपका जाना तय था … लेकिन आपके बगल मे वो भगवान भी बैठे होंगे …. जरा उनसे पूछना की अगर आपका साथ इतने ही समय के लिए था तो ये सहारा दिया ही क्यूँ ?

पापा आप अपनेआप मे एक पूरे पैकेज थे … मेरी परेशानियों का हल थे आप , मेरी खुशियों का केंद्र थे आप … पापा जब भी मैं कोई काम करती थी तब सबसे पहले सोचती थी की मेरे पापा की क्या राय होगी इस बारे मे ! अब आप हैं ही नही तो ये सब किसके लिए करूँ ?? समझ ही नही आता …….

पापा अब मैं बड़ी हो रही हूँ … हर दूसरे पुरुष मे मैं आपकी झलक देखने की कोशिश करती हूँ पापा … मेरी इसी सोच को लोग मेरे चरित्र से देखते हैं ! सबसे मित्रवत व्यवहार करती हूँ लेकिन समाज की नजरें इतनी गंदी हो चुकी हैं की लोग मुझे गंदी दृष्टि से देखते हैं 

पापा मेरे इस हँसते हुए खिलखिलाते हुए चेहरे के पीछे का दुख को नही देख पाता है … पापा आप मेरे हर उस दुख को समझ जाते थे

पापा आज कोई दुख नही है ….. बस दुख इस बात का है की मेरी छोटी छोटी खुशियों के साथ खुश होने वाले और उस खुशी के साथ आगे बढ्ने का साहस देने वाले आप ही नही हैं ……… !

लेकिन पापा अब बहुत हुआ …. आपके लिए प्रेम तो बहुत है …. और मुझे पता है आप भी मुझसे बहुत ज्यादा प्रेम करते हैं लेकिन फिर भी अब मैं हर बात पे आपके लिए नही रोऊंगी … इस कठोर समाज से कंधे से कंधा मिला कर चलूँगी

पापा आपके वो प्रेरणा देने वाले शब्द हमेशा मेरे कानों मे गूँजते हैं की खूब आगे बढ़ो बेटा… अब मैं भी आपका सपना पूरा करूंगी तो आपने मेरे लिए देखे थे

पापा लक्ष्य से भटकने के कई मौके आते हैं लेकिन आपका साथ हमेशा मेरे साथ थे और इस समय भी हैं इसलिए मैं हमेशा यह सोच कर चलूँगी की आप हैं मेरे साथ

पापा आपकी यादें ही सिर्फ मेरा और इस परिवार का सहारा हैं …. आशा करती हूँ आप भी वहाँ पर अच्छे से होंगे … मैं भी एकदम अच्छे से हूँ और पूरे परिवार को संभाले हुए हूँ ………. आप अगर मेरे इस पत्र से परेशान हुए होंगे तो जैसे मेरी हर गलती को क्षमा कर देते थे उसी तरह मेरी गलतियों को क्षमा कर दीजिएगा

आपकी वही छोटी सी बेटी … आपकी कल्पना

2 thoughts on “एक बिटिया का एक स्वर्गीय पिता को पत्र

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    एक दुखांत जो जीवन का सच है.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत मार्मिक रचना !

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