बाल कविता

नानाजी की छड़ी…!!

नानाजी के घर में पहली बार हुई
चुन्नु-मुन्नू के बीच में तकरार हुई
मुन्नू की गाड़ी लेकर चुन्नु दौड़ गया
फिर मुन्नू भी चुन्नु का घोड़ा तोड़ गया
दोनों के इस झगड़े से घर में छिड़ गया घमासान
कहीं गिरे बरतन, गुलदस्ते,
बिखरा घर, सारा सामान
बिखरी प्लेटें, बिखरे कप और गिरी घड़ी
नानाजी की चुन्नु-मुन्नू को दिखी छड़ी
नानाजी की छड़ी देख दोनों का मन घबराया
बिखरा था सामान फटाफट अपनी जगह जमाया
चुन्नु ने लगाई झाड़ू और मुन्नू ने लगाया पोंछा
कर दें पूरे घर की सफाई दोनों ने यह सोचा
नानाजी आए देखा घर कुछ बदला बदला था
चारों कोने चमक रहे थे
आँगन उजला उजला था
चुन्नु को पूछा नाना ने
किसने घर की
की ये सफाई?
मुन्नू ने नानाजी को उनकी
लम्बी छड़ी दिखाई
जादुई छड़ी का किस्सा जब मुन्नू ने उन्हें सुनाया
नानाजी ने बैठ पलंग पे एक ठहाका लगाया…

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!

4 thoughts on “नानाजी की छड़ी…!!

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी लगी यह बाल कविता.

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद गुरमेलजी

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत मजेदार बाल कविता !

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद भाईसाहब

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