कविता

हरे भरे वृक्ष ………

ये हरे भरे वृक्ष हमे ,

सदा यु ही भाते हैं |

अपने बड़े -बड़े टहनियों से ,

ठंढी हवा बहाते हैं |

फलों से झुकी डाली ,

नित नया सजाते हैं |

अपने लिए तो कुछ नहीं ,

पराये के लिए सब करते हैं |

फिर भी इसका दुसमन ,

क्यों बना हुआ है इंसान |

इसकी कटाई कर ,

क्यों जीना चाहता हैं |

इस पर ही तो सारी ,

ये दुनिया टिकी हुई हैं |

आज के दिन हम ,

ये प्रण ठानते हैं |

जितना हो सके हमसे ,

तुम्हारी सेवा करते रहेंगे |

इस प्यारी -प्यारी धरती को ,

नित्य हरा -भरा बनाएंगे |……….

. निवेदिता चतुर्वेदी ……..

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

6 thoughts on “हरे भरे वृक्ष ………

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    आज के प्र्य्वर्ण दिवस पर अच्छा सन्देश . हर किसी को अगर जगह हो तो ब्रिक्ष लगाने चाहिए ,अगर न भी हो सके तो घर में कोई प्लांट यह कुछ भी जैसे मिर्च का बूटा , टमाटर या शिमला मिर्च , घर में कुछ भी उगाया जा सकता है ,सिर्फ चाहत हो .

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad , aap bilkul sahi kah rahe hai sriman jee

  • विजय कुमार सिंघल

    पर्यावरण का सन्देश देती अच्छी कविता !

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad

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