अंधविश्वास
अंधविश्वास के अंधकार में डूबा है समाज।
हमें मिलकर तमस मिटाने की जरुरत है आज।।
बिल्ली ने रास्ता काटा या किसी ने छिंक दिया,
अपने आगे बढ़ते कदमों को पिछे खींच लिया,
भूत-भगत, झाड़-फूँक में है इन्हें विश्वास।
हमें मिलकर तमस मिटाने की जरुरत है आज।।
विधवा बाँझ नारी को ये मानते हैं अश्पृश्य,
विकसित 21वीं शदी का भी ऐसा है दृश्य,
इनके रिति-रिवाज में भरा है अंधविश्वास।
हमें मिलकर तमस मिटाने की जरुरत है आज।।
ये खुशी माँगने जाते है बाबा के दरबार में,
अपनी कामयाबी मानते हैं बाबा से गोहार में,
वेद-पुराण,गीता-ग्रंथ की क्या जाने ये बात।
हमें मिलकर तमस मिटाने की जरुरत है आज।।
भगवान भरोसे जीते हैं करते नहीं अभ्यास,
भाग्य-नशीब मानते हैं खुद पर नहीं विश्वास,
ये धरती भी न समझे दुनिया छू लिया आकाश।
हमें मिलकर तमस मिटाने की जरुरत है आज।।
– दीपिका कुमारी दीप्ति
हार्दिक धन्यवाद सर अपना विचार देने के लिए
अंधविश्वासों को दूर करने के लिए आज की युवा पीड़ी को कुछ करना होगा .
बढ़िया कविता, अच्छे विचार !