कविता

कविता : बेटियां /पत्तियां

पत्तियों का डाली से छूटना आया
पतझर मे जेसे वृक्ष को रोना आया
परिंदों का था ये पत्तियों का पर्दा
छाँव छूटी और तपिश गहराया |

पत्तियां भी होती बेटियों की तरह
वृक्ष / घर को ये कर जाती सूना
रूठ कर करती है जिद्दी फरमाइशे
पिता /वृक्ष कर देते पूरी फरमाइशें |

नई कोपले फूटने पर कोयल गाती
सूनेपन मे फिर से खुशिया छा जाती
पूजे जाते है आज भी वृक्ष और बेटियां
वृक्ष पर ना करो वार ,ना करो भ्रूण -हत्या |

बेटियां रो -रोकर कह रही इश्वर से
कब ख़त्म होंगे भ्रूण हत्याओं के पाप
पर्यावरण /रिश्ते हो जायेंगे जब ख़त्म
दुनिया करने लगेगी तब फिर संताप |

बेटियां और वृक्ष से ही  तो कल है
इनसे ही जीवन जीने का एक एक पल है
संकल्प लेना होगा इन्हे बचाने का आज
दुनिया बचाने का होगा ये ही एक राज |

संजय वर्मा ‘दृष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच