लघुकथा : सरप्राइज़
सीमा के पति रिटायर्ड होने वाले थे। अभी तक ना मकान बना था और ना ही बच्चे किसी काम धंधे अथवा नौकरी से लगे थे , इसलिए वो आने वाले दिनों को लेकर चिंतित , अनमनी ,खिड़की पे बैठी कहीं दूर निहारती विचारों में तल्लीन थी , तभी फोन की घंटी से उसकी तन्द्रा भंग हुयी तो रिसीवर कानों से लगा कर बोली — ” हेलो ”
“सुन दीदी ,परसों तू हर हालत में यहाँ पहुँच जा , जरुरी काम है ” और फोन कट गया। छोटे अमित भाई का फोन था। बचपन में दोनों की खूब तू तू मैं मैं होती थी , और इतनी बढ़
जाती थी कि दोनों जिंदगी भर एक दूसरे से बात नहीं करने और एक दूसरे का मुहँ नहीं देखने की धमकियाँ दिया करते थे। शादी के बाद भी सीमा तीन -चार सालों में ही मायके जा पाती थी। घबराई सीमा मायके पहुंची —
” क्या हुआ, भाई सब ठीक तो है ना ”
” हाँ ठीक है सब , एक सरप्राइज़ है , बस तू कार में बैठ ” कार एक सुन्दर से दोमंजिले मकान सामने रुकी , अमित ने मेन गेट खोला , सब लोग अंदर आ गये ,पूरा घर दिखाने के
बाद अमित बोला — ” कैसा है ये मकान ? ”
” बहुत अच्छा है , नया घर बनवाया है ? वाह कब शिफ्ट कर रहा है ? ” ,सीमा ने आश्चर्य मिश्रित खुशी से पूछा। चाबी का गुच्छा और एक कागज़ों का लिफाफा सीमा को देते हुये अमित बोला — ” शिफ्ट मैं नहीं तू कर रही है ,ये तेरा मकान है ,ले चाबी । ”
— मँजु शर्मा
यह तो वाकई बिग सरप्राइज़ है ,वोह भी उस से कि जिस भाई से कभी उम्मीद थी ही नहीं .