समाचार

मुलायम ने सबसे पहले की थी अम्बेडकर के नाम पर योजनाओं की शुरूआत

अम्बेडकर महासभा के कार्यक्रम में कभी नहीं आयीं मायावती

लखनऊ, 19 जनवरी। दलितों की हितैषी का दावा करने वाली भाजपा हो या फिर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भले ही बाबा साहब अम्बेडकर के नाम पर तमाम योजनाओं और स्मारकों का निर्माण करवाया हो। लेकिन उत्तर प्रदेश में इसकी शुरुआत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने की थी। मुलायम सिंह ने अपने पहले मुख्यमंत्रित्वकाल में अम्बेडकर के नाम पर कई योजनाओं की शुरूआत की थी।
अम्बेडकर महासभा कार्यालय में देश की नामचीन राजनैतिक हस्तियों ने अपनी उपस्थिती दर्ज कराई है। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री जो अम्बेडकर महासभा के कार्यालय में आ रहे हैं। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि अपने को डा. अम्बेडकर का असली वारिस बताने वाली बसपा मुखिया मायावती यहां पर कभी नहीं आयीं।

अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि उत्तर प्रदेश में बाबा साहब के विचारधारा को सरकारी तौर पर अमल में लाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ही हैं। मुलायम सिंह यादव ने 1990 में पहली बार अम्बेडकर ग्राम के नाम से योजनाएं चलाई थीं। इसी तरह अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के कल्याण के लिए मुलायम सिंह यादव ने दलित छात्र/छात्राओं की मुफ्त पढ़ाई,यूनीफार्म,वजीफा, कन्या विद्याधन एवं पेंशन की शुरूआत की थी।
इसके साथ ही वर्ष 1991 में अम्बडेकर के जन्मशती वर्ष के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का अस्थि कलश अम्बेडकर महासभा में स्थापित किया था। इसके साथ ही विधान भवन मार्ग का नाम बदलकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर मार्ग किया था। विधान भवन के तिलक हाल में बाबा साहब का तैल चित्र भी उन्होंने ही लगवाया था।
मुलायम सिंह ने प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की उपस्थिती में उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा इसी स्थल से की थी। मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में सचिव स्तर के अधिकारियों में अधिकांश दलित समुदाय से रखे थे। इसके अलावा मुलायम सिंह ने अम्बेडकर महासभा के जीर्णोद्धार के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की थी।
वहीं मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने न केवल चक गंजरिया सिटी में अम्बेडकर स्मारक बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने की घोषणा की है बल्कि नेपाल में भी अम्बेडकर और लोहिया की मूर्ति लगवाने का आश्वासन दिया।
श्री निर्मल ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायन, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, जदयू नेता शरद यादव, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा समेत तमाम नेता आ चुके हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती कभी भी अम्बेडकर महासभा के कार्यक्रम में नहीं आईं। मायावती के कार्यकाल में अम्बेडकर महासभा को उजाड़ने का प्रयास जरूर हुआ था। लेकिन बाबा साहब अम्बेडकर की अस्थि कलश स्थापित होने के कारण पूर्व सरकार अपने मंसूबे में सफल नहीं हो पाई थी।

— बृजनन्दन

बृज नन्दन यादव

संवाददाता, हिंदुस्थान समाचार