ग़ज़ल : हर पल भरा-भरा है
तेरे सँग मेरे जीवन का हर पल भरा-भरा है.
यादों की गुदगुदी ह्रदय में होती ज़रा-ज़रा है.
डर था कैसे लहराएगी भावों वाली फसलें,
पर तेरे होने से मन का उपवन हरा-हरा है.
इतनी चाहत कह ना पाऊँ दूर रहूँ मैं कैसे,
खो ना जाए प्यार की दौलत ये दिल डरा-डरा है.
तुम पर मरता तुम से जीता ऐसी हालत दिल की,
क्या मानूँ ये दिल जीता है या फिर मरा-मरा है.
तू ही मेरी चिंगारी है और आग भी तू है,
तुझसे मेरी रचनाओं का सोना खरा-खरा है.
प्रिय सखी अर्चना जी, अति सुंदर गज़ल के लिए आभार.
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !
सुंदर गज़ल