ये सर्द रातें
याद है तुम्हे वो सर्द रात
तुम्हें कुछ याद हो न हो
पर मुझे याद है सारी बातें
अब तक ,आज तक
जो गुजरी और जो नही गुजरी
वो सब कुछ याद मुझे है
ऐसी ही एक अति सर्द रात थी
जब हम कहीं मिले थे
एक मुलाकात के बाद अगली
मुलाकात की बात बनी
ऐसी ही एक सर्द रात में तेरे
आंसुओ ने मुझे भिगोया था
मैं अन्दर तक भीगता रहा
रात में हम आलाव तापते रहे
ज़िन्दगी कीआग को सहा था
वो पुरानी कसमे जो खायी थी
याद है एक होने की बात
ऐसी ही सर्द रात में तुमने हाथ
पकड़ मुझे छोडा था घर पर
और मैं तन्हा हो गई तुम्हारे बिना
और उस सर्द रात से आज तक
मुझे हर रात बार बार
वो सर्द रात नज़र आती है
तुम्हे याद कर आँसू ओस बन गिरते है
तुम्हे मेरी याद आती है या नही
खुदा जाने ,
सर्द रात को हम दोबारा मिलेंगे या नही .
सर्द रातें यादें तेरी ताजा कर देती है
आज भी वहीं आगोश
भावनाओं का वही तूफान
आज की रात भी बहुत सर्द है ..
तेरी याद अब भी मेरे साथ है
इन्तजार मे शायद वो सर्द रात
हमें फिर मिलायेगी
— डॉ मधु त्रिवेदी