कविता

तेरी याद

सूरज जब आँखें भी नहीं खोलता
और मेरे छत के मुंडेर पर
जब नन्ही चिड़िया चहचहाती है
ना जाने क्यूँ मुझे तब
तुम्हारी याद बहुत आती है….

याद आते हो तुम मुझे
सुबह की पहली किरण के साथ
तब अखबार पर निगाहें गड़ाए
चाय की हर चुस्की के साथ
पीती जाती हूँ मैं
तुम्हारे ना होने के एहसास को…

भोर के उजालों से शुरू होता
तुम्हारी यादों का सफर
रात के गहन अँधेरों में भी
अनवरत चलता हीं रहता है
उफ़्फ़…कितना लंबा है
तुम्हारी यादों का सफर…

रोज़ जिस मोड से शुरू होता है
उसी मोड़ पर आकार ठहर भी जाता है
बिलकुल इस धरा की तरह
जो सदियों से एक हीं धुरी पर सदैव गतिमान है
सच बताना…क्या मैं भी तुम्हें
इस कदर हीं याद आती हूँ ???

रश्मि अभय

नाम-रश्मि अभय पिता-श्री देवेंद्र कुमार अभय माता-स्वर्गीय सुशीला अभय पति-श्री प्रमोद कुमार पुत्र-आकर्ष दिवयम शिक्षा-स्नातक, एलएलबी, Bachelor of Mass Communication & Journalism पेशा-पत्रकार ब्यूरो चीफ़ 'शार्प रिपोर्टर' (बिहार) पुस्तकें- सूरज के छिपने तक (प्रकाशित) मेरी अनुभूति (प्रकाशित) महाराजगंज के मालवीय उमाशंकर प्रसाद,स्मृति ग्रंथ (प्रकाशित) कुछ एहसास...तेरे मेरे दरम्यान (शीघ्र प्रकाशित) निवास-पटना मोबाइल-09471026423 मेल [email protected]

2 thoughts on “तेरी याद

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी रश्मि जी, यादों का सफर होता ही ऐसा है, बढ़िया.

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