कविता

प्रेम..

प्रेम का बंधन अटूट हैं
जो बंध जाता प्रेम में
हो जाता कोहिनूर हैं
सच्चे दिल सें जिसने भी प्रेम किया हैं
जग में उसी का नाम हुआ हैं
भाई भाई का प्रेम का हो
या हो भाई बहन का
प्यार तो प्यार हैं
सबसें ये महान हैं|

— निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

3 thoughts on “प्रेम..

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती ,प्रेम तो बस प्रेम है .

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      jii sriman jii

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