कविता

कविता : कूटनीति

दफ्तर के ऑफिसर ने
दिवाली के दिन
एक कर्मचारी की रिश्वत को लौटा दिया

ये देख ऑफिसर की बीवी का मिजाज बिगड़ गया
बोली-“आज के दिन लक्ष्मी जी स्वयं घर पधारी थी
और आपने उसे विदा कर दिया
अरे कब तक महात्मा गांधीजी के
पुराने पदचिन्हों पर चलते रहोगे?

सीखो  आज के महात्माओ से,
किस तरह धर्म का मंच पर उपदेश कर रहे है
और भीतर ही भीतर
अपनी आलिशान कोठिया कर रहे है|”

ऑफिसर ने बोला-“बेगम!!!
महात्मा गांधीजी के विचारो से
देश आजाद हुआ था
और आज हम चैन से जी रहे है..

आज के महात्माओ की कूटनीति की वजह से,
हम अपने ही
घर में जीते हुए मर रहे है..!!”

स्वाति “सरू” जैसलमेरिया

 

स्वाति जैसलमेरिया

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