कविता

मुक्तक

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शुक्रवार,चित्र,अभिव्यक्ति-आयोजन
आप सभी के सम्मान में प्रस्तुत है एक मुक्तक…….

उखाड़ों मत मुझे फेकों, अरे मैं रेल की पटरी
न गुस्सा आग बरसाओ, उठाती हूँ तेरी गठरी।
जरा सोचो निहारो देख लो मंजिल कहाँ जाती
मंजिल मैं मिला देती, बिना पहचान की ठठरी॥

महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

3 thoughts on “मुक्तक

  • लीला तिवानी

    अति सुंदर.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत बढ़िया प्रतिक्रिया !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी, हार्दिक आभार

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