“कंहरवा तर्ज”
मंच को सादर प्रस्तुत है एक शिवमय रचना, आप सभी पावन शिवरात्री पर मंगल शुभकामना, ॐ नमः शिवाय
“कंहरवा तर्ज पर एक प्रयास”
डम डम डमरू बजाएं, भूत प्रेत मिली गाएं
चली शिव की बारात, बड़ बड़ात रहिया।
नंदी नगर नगर, घुमे बसहा बयल
संपवा करे फुफकार, मन डेरात रहिया।।
गलवा सोहे रुद्राक्ष, बासुकी जी माल भाल
सथवां मुनि ऋषि, देवगण अघात रहिया।।
चन्द्रमा लिलार माथ, जटा लपटाय शिव
नाचे डंकिनी पिचास, भूत बौरात रहिया।।
भष्म भांग धतूरा, चिलम कस कस शरीरा
हथवां राखत त्रिशूला, शिव सुहात रहिया।।
बाजत तुरही मृदंग, फरकत अंग अंग
सुरताल रंगफाग, लय अघात रहिया।।
देखि शिव की बारात, मैना हिम करे बात
गले कइसन मुण्डमाल, वर बारात रहिया।।
कैसन ज्ञानी कैसन ध्यानी, ई कैसन हवे दानी
कइसन खोजल दामाद, कस बुझात रहिया।।
हाथ आरती की थाल, गिरिजा के जयमाल
शिव-शिव, शिव हैं महान मुसुकात रहिया ।।
महातम मिश्र
ॐ नम: शिवाय
सादर धन्यवाद आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी, ॐ नमः शिवाय