जाने ये कौन से जन्म का नाता है
जाने ये कौन से जन्म का नाता है
जो दिल से न भुलाया जाता है
जब भी कोशिश करता हूँ न याद आये तुम्हारी
मेरी आँख में क्यूँ आंसू बरस जाता है
ये जानकर भी कि वो वफ़ा न कर सके
ये दिल क्यों बार बार एक विश्वास दिलाता है
कि उनकी बेवफाई में
उनकी मजबूरी ही दिखता है
अब तो बस एक ही बात दोहराऊंगा
लाख जतन करके भी न भुला पाऊँगा
जितना दूर जाऊंगा उतना ही तुम्हें अपने पास पाऊँगा
नहीं फर्क पड़ता कि तुम कितनी दूर हो मुझसे
मैं गर दूर हुआ तो अपनी जान से जाऊँगा
अब तो ऐ खुदा ये रहम कर देना
उसे मत रुलाना चाहे मेरी खुशियां हर लेना
इतनी रज़ा करना कि वो करम कर जाऊँ
जिस सुबह वो न हो मेरी जिंदगी में
वो सुबह कभी न देख पाऊँ
वो सुबह कभी न देख पाऊँ।।
अच्छी कविता, महेश जी !
आभार।
आभार।