कितनी दूर
कितनी दूर है वो मुझसे
फिर भी हर घडी
क्यों उसका इंतज़ार है मुझे
उसके दिल में
जाने क्या है मेरे लिए
फिर भी क्यों उससे इतना प्यार है मुझे
कभी यूँ लगता है
वो बिखर गयी बादलो की तरह
बरस रही होगी अनजान दिशा में
फिर भी क्यों आती है
उसकी खुशबु हर घड़ी
और दिखती है
अपनी पलकों पे क्यों बहार मुझे
काश एक बार तो देख ले वो आकर
मेरी आँखों की बरसती बारिश को
मुझे यकीन है
न लोट पायेगी वो वापिस
इतना तो उसपे
और खुद पे भी ऐतबार है मुझे