गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

देखलो आज क्या हो गया
वक्त भी बेवफ़ा हो गया १
मर गई आज इंसानियत
आदमी ही खुदा हो गया २
चढ़ गया चाँद पूनम का भी
आज फिर रतजगा हो गया ३
ख्वाब भी अब मचलने लगे
जाने क्या माजरा हो गया ४
ख्वाहिशें फिर जवां हो गई
प्यार का जब नशा हो गया ५
खो गया प्यार में इस कदर
मन मेरा बावरा हो गया ६
जिसकी खातिर जिए आज तक
आज वो ही खफा हो गया ७
जिसकी कोई दवा ही नहीं
जख्म इतना बड़ा हो गया ८
प्यार जब से हुआ है रमा
दर्द का सिलसिला हो गया ९
———————————- रमा वर्मा

रमा वर्मा

श्रीमती रमा वर्मा श्री प्रवीर वर्मा प्लाट नं. 13, आशीर्वाद नगर हुड्केश्वर रोड , रेखानील काम्प्लेक्स के पास नागपुर - 24 (महाराष्ट्र) दूरभाष – ७६२०७५२६०३

2 thoughts on “गीतिका

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया ग़ज़ल !

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया ग़ज़ल !

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