याद आयीं
आज चुपके से तेरी याद आयीं
मिठे-मिठे सपनो मे तेरी झलक पायी
बेचैन हो जाती है ये रूह तुझे देखने को
लेकिन अपने पैरो मे बेडिया बॉधी पायी
कभी मन करता है तोड डालू इन बेडियो को
जो तुमसे दूर कर रखा है मेरे को
लगता प्यार की परिभाषा मालूम नही
जो एक प्यार को ही प्यार से अलग कर रखा है
आज तुम ख्वाबो में ही सही
लेकिन आ जाओ समीप किसी बहाने सें|
निवेदिता चतुर्वेदी