कविता

सपनों का हिंदुस्तान

सपनों का हिंदुस्तान
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भगत,आजाद, सुभाष जैसे वीरों का देश है अपना,
गाँधी,बुद्ध, गुरुनानक का हम पूरा करेंगे सपना,
जाति-धर्म का भेद न हो जन-जन का हो विकास,
खून-पसिनों से लिखने चल एक नया इतिहास,
विवेकानंद,कलाम का हम पूरा करें अरमान,
सूरज सा चमके अपना सपनों का हिंदुस्तान।

आकाश में बनायेंगे हम एक नया संसार,
फिर देखने चलेंगे क्या है गगन के पार,
साहिल से पहले रोक दे तूफाँ की क्या औकात,
सुनामी से टकराने की करते हैं हम बात,
सभी सपनों को पूरा करेंगे हम देश के जवान,
सूरज सा चमके अपना सपनों का हिंदुस्तान।

भारत माँ की आँचल में हम दाग नहीं लगने देंगे,
हम अपना तन-मन-धन माँ के चरणों में भेंट करेंगे,
दूर होंगे दुश्मन सभी देखकर एकता वतन की,
महक उठेगा जग सारा ऐसी खुशबू होगी चमन की,
माँ भारती के संतान हैं यही है अपनी पहचान,
सूरज सा चमके अपना सपनों का हिंदुस्तान।

-दीपिका कुमारी दीप्ति

दीपिका कुमारी दीप्ति

मैं दीपिका दीप्ति हूँ बैजनाथ यादव की नंदनी, मध्य वर्ग में जन्मी हूँ माँ है विन्ध्यावाशनी, पटना की निवासी हूँ पी.जी. की विधार्थी। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।। दीप जैसा जलकर तमस मिटाने का अरमान है, ईमानदारी और खुद्दारी ही अपनी पहचान है, चरित्र मेरी पूंजी है रचनाएँ मेरी थाती। लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी।। दिल की बात स्याही में समेटती मेरी कलम, शब्दों का श्रृंगार कर बनाती है दुल्हन, तमन्ना है लेखनी मेरी पाये जग में ख्याति । लेखनी को मैंने बनाया अपना साथी ।।

One thought on “सपनों का हिंदुस्तान

  • विजय कुमार सिंघल

    गांधी का सपना पूरा मत कर देना। वह चाहता था कि हमारा देश इस्लामी बन जाये।

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