कविता कविता : गोदना रीना मौर्य "मुस्कान" 13/05/201617/05/2016 प्यार था अब छल है अविश्वाश है रिश्तों की मौत है मौत की चीख है चीख में छुपा दर्द है दर्द की चुभन है क्योंकि काली रात की स्याही से मैंने गोद दिया था तेरा नाम अपनी कलाई पर अपनी रूह पर