कविता

रिश्ते

दुनियां में कुछ रिश्तें ऐसे भी होते हैं

अनजाने में ही जाने कब कैसे जुड़ जाते हैं

बिना शर्त किसी और बिना स्वार्थ के

उम्रभर के लिए मन मे कही बस जाते हैं

कुछ ऐसे बंधन भी होते हैं जग में

जिनमें बंध कर ही सुख मिलता है ं

उनसे ही निखरतें हैं खुशियों के रंग

सहरा में भी गुल खिलता है।

 

कुछ ऐसे भी नाते होते हैं दिल से दिल के

कोई नाम नही बस एहसास भर होता है

सुकून देता है उसका अपना होने का ख़याल े

चाह पाने की ना कुछ खोने का डर होता है।

 

ये रिश्ते,नातें और बंधन गर  हो रूहानी

तो बन जाये जीवन जन्नत का रूप साकार

हों गर स्वार्थपरक तो खो जाएं खुशियाँ सारी

और बन जाए सारे दुखों का आधार।

 

-सुमन शर्मा

सुमन शर्मा

नाम-सुमन शर्मा पता-554/1602,गली न0-8 पवनपुरी,आलमबाग, लखनऊ उत्तर प्रदेश। पिन न0-226005 सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें- शब्दगंगा, शब्द अनुराग सम्मान - शब्द गंगा सम्मान काव्य गौरव सम्मान Email- [email protected]

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