सत्यार्थ प्रकाश का छठा समुल्लास पढ़ने का लाभ तभी है जब आप राजा बनने का संकल्प लें: डा. रघुवीर वेदालंकार
ओ३म्
श्रीमद् दयानन्द ज्योतिर्मठ आर्ष गुरुकुल पौंधा, देहरादून का तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव 3 जून 2016 को आरम्भ हुआ। कार्यक्रम के 3 जून को प्रथम दिन के प्रथम सत्र में सत्यार्थ सम्मेलन हुआ जिसके एक वक्ता प्रसिद्ध आर्य विद्वान डा. रघुवीर वेदालंकार थे। आपको सत्यार्थ प्रकाश के राजधर्म विषयक छठे समुल्लास पर अपने विचार प्रस्तुत करने का सत्र के संयोजक श्री अजित कुमार ने निवेदन किया।
अपने वक्तव्य को प्रस्तुत करते हुए प्रसिद्ध आर्य विद्वान डा. रघुवीर वेदालंकार ने कहा कि सत्यार्थ प्रकाश के छठे समुल्लास का अर्थ है कि हम राजा बने या बनायें। उन्होंने श्रोताओं से पूछा कि क्या हमारा किसी का संकल्प है कि हम वहां तक पहुंचे? विद्वान वक्ता ने पूछा कि भारत का सुधार कैसे होगा? जब तक आप राजा बनने का संकल्प नहीं करते तब तेक सत्यार्थ प्रकाश का छठां समुल्लास पढ़ने से आपको कोई लाभ नहीं होगा। सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने का लाभ तभी है जब कि आप राजा बनने का संकल्प लें। हमारी राजनीति में दिलचस्पी न होने और हमारा कोई राजनैतिक संगठन न होने का परिणाम यह हुआ है कि हमारा देश व समाज बिगड़ गया है। उन्होंने कहा कि आप में न राजा बनने की चाहत है और न शक्ति है तो आप छठे समुल्लास को पढ़कर क्या करोगे? डा. रघुवीर वेदालंकार ने कहा कि आप में राजनीति में जाने की भावना व इच्छा होनी चाहिये। हमारे आर्यसमाज के नेताओं का देश की राजनैति से दूर रहने का निर्णय गलत था। अब भी हमें राजनीति में जाने व रहने का निर्णय करना चाहिये। इस क्रम में डा. रघुवीर जी ने सत्यार्थ प्रकाश के छठे समुल्लास में विहित तीन सभाओं की चर्चा कर उनके स्वरूप पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सत्यार्थ प्रकाश में आज के जनतन्त्र जैसा स्वरुप नहीं है। इसने देश को डूबा दिया है। इसने आर्यसमज को भी डूबा दिया है। आज का जनतन्त्र बाहुबलियों में बंधा हुआ है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द ने राजार्य, धर्मार्य तथा विद्यार्य सभा की चर्चा की है। धर्मार्य सभा मुख्यतः न्याय का विभाग है। विद्यार्य सभा एक प्रकार से शिक्षा मंत्रालय जैसा है। सैन्य विभाग राजार्य सभा के अन्तर्गत है। डा. रघुवीर वेदांलकार जी ने ऋषि दयानन्द के शब्दों ‘एक को स्वतन्त्र राज्य का अधिकार न देना चाहिये’ शब्दों की भी चर्चा की। प्राचीन परम्परा के अनुसार राजा प्रजा के अधीन रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में प्राचीन काल से राजतन्त्रीय व्यवस्था रही है न कि प्रजातंत्रीय व्यवस्था।
विद्वान वक्ता ने कहा कि यदि नेता अच्छा काम न करे तो प्रजा को अपने निर्वाचित नेता को बुलाने का अधिकार होना चाहिये। उन्होंने कहा कि यह तथ्य भी सामने आया है कि हमारे एक पूर्व प्रधानमंत्री स्वतन्त्र रूप से निर्णय नहीं करते थे। यह बात समाचारों में आ चुकी है। ऋषि दयानन्द और छठे समुल्लास के अनुसार यदि राजा प्रजा के अधीन न हो तो वह प्रजा को खाये जाता है। अतः राजा को स्वाधीन न होना चाहिये। आर्य विद्वान डा. रघुवीर जी ने कहा कि पक्षपात रहित व पूर्ण विद्यायुक्त योग्य व्यक्ति को ही राजा मानें। धर्मार्य सभा, विद्यार्य सभा तथा राजार्य सभा के अधिकारी की चर्चा कर आपने कहा कि यह महाविद्वान होने चाहिये। आचार्य जी ने यह भी कहा कि स्वतन्त्रता के बाद इतिहास कम्युनिस्टों के हाथ में रहा और शिक्षा मंत्रालय मुसलमानों के हाथ में रहा। इस अवधि में इतिहास में गड़बड़ी की गई और वेदों की घोर उपेक्षा हुई है। उन्होंने कहा कि राजा का उत्तम विद्वान व धार्मिक होना आवश्यक है तभी वह सबके प्रति पक्षपातरहित न्याय कर सकता है। राजा व राज्याधिकारियों का चरित्र भी शुद्ध, पवित्र व उत्तम होना चाहिये। उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह है कि बाहुबली जेल में रहकर भी लोगों की हत्यायें करा देते हैं। सारी राज व्यवस्था बिगड़ी हुई है। हमें संकल्प लेना चाहिये कि हमें राज व्यवस्था में घुसना है। हमारा उद्देश्य होना चाहिये कि हम राजनीति को शुद्ध करेंगे। आचार्य जी ने सत्यार्थ प्रकाश के छठे समुल्लास में दण्ड व्यवस्था से सम्बन्धित नियमों को पढ़कर उन पर प्रकाश डाला। आचार्य जी ने गोमांस खाने वाले और इसकी घोषणा करने वाले एक न्यायाधीश का उल्लेख किया और इस पर गहरा दुःख जताया। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति में विधान है कि जितने आततायी अर्थात् आतंकवादी हैं उनका एनकाउण्टर कर देना चाहिये जिससे निरपराध व शान्त प्रकृति के लोग समाज में भय से रहित और सुखपूर्वक रह सके। आचार्य जी ने कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह के बयानों की भी आलोचना की।
डा. रघुवीर वेदालंकार के बाद अगला व्याख्यान डा. सोमदेव शास्त्री, मुम्बई का हुआ जिसे हम बाद में प्रस्तुत करेंगे।
–मनमोहन कुमार आर्य
प्रिय मनमोहन भाई जी, राजा का उत्तम विद्वान व धार्मिक होना आवश्यक है तभी वह सबके प्रति पक्षपातरहित न्याय कर सकता है. अति सुंदर. सजग व सचेत करने वाले अति सुंदर आलेख के लिए आभार.
नमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद आदरणीय बहिन जी। लेख पसंद करने के लिए धन्यवाद। मैं आगामी तीन दिन रोहतक हरियाणा के एक कार्यक्रम में जा रहा हूँ। हमारा संपर्क इस बीच टूटा रहेगा। सूचनार्थ निवेदन है. सादर।